झुण्ड नहीं समाज बनाओ
जीवों में पशुता सरल है।मनुष्य भी एक जीव है, मछली जैसा।तो मछुवारे धूर्त लोग इस जीव का शिकार करने को अनेक रंग-रूप के जाल बिछाते हैं जिसमें मछलियों का झुंड आकर्षित होकर फसते रहता है।वे […]
जीवों में पशुता सरल है।मनुष्य भी एक जीव है, मछली जैसा।तो मछुवारे धूर्त लोग इस जीव का शिकार करने को अनेक रंग-रूप के जाल बिछाते हैं जिसमें मछलियों का झुंड आकर्षित होकर फसते रहता है।वे […]
शार्ट फ़िल्म द पिल्लो ओर पॉकेट मनी की अपार सफलता के बाद काव्य वर्षा की एक और लघु फ़िल्म बनकर लगभग तैयार है और जल्दी रिलीज़ की जाएगी, जिसका शीर्षक समाज है। फ़िल्म का निर्देशन […]
प्रसंगवश———- डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- बचपन (८-१०वर्ष) में देखता था कि आये-दिन कोई व्यक्ति द्वार पर याचक की मुद्रा में आ खड़ा होता था। उस व्यक्ति के कन्धे पर ‘पगहा’, गाय-बछिया को बाँधनेवाली डोर लटकी रहती […]