कोई भी सम्मान ‘हमसे’ है, हम सम्मान से नहीं
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय सर्जक (‘सृजन’ निरर्थक शब्द है। सृज् धातु+ल्युट् प्रत्यय = सर्जन– रचना करनेवाला) की एक स्थिति ऐसी आ जाती है, जहाँ उसे बड़ी-बड़ी धनराशिवाले सम्मान भी डिगा नहीं पाते; क्योंकि उसकी […]