रक्त रंजित यह धरा किसके कहे उसकी हुई?

October 11, 2023 0

रक्त रंजित यह धरा किसके कहे उसकी हुई? ख़ून की हर बूँद न इसकी हुई न उसकी हुई। मर गए जो, वो भी इंसान थे, मारने वाले जिन्हें ज़रा से, मुठ्टीभर शैतान थे। यह संघर्ष […]

दीपावली पर कविता : दीपकों के धर्म से रात भी है जागती

October 24, 2022 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’– मृत्तिका निर्मित दीये से है अमावस काँपती। जलते हुए नन्हें दीये से डरकर निशा है भागती। दीपक-देह की अभिव्यंजना से रात जगमग हो रही। दीपकों के धर्म से रात भी अब […]

जब मिलो तो मिलो दोस्तों की तरह

May 10, 2022 0

आदित्य त्रिपाठी- फूल बनकर खिलो एक कमल की तरह। कर दो शीतल सभी को विधु की तरह। आरजू है हमारी मेरे भाइयों। जब मिलो तो मिलो दोस्तों की तरह॥ था अभी पंक मे एक पंकज खिला। पंक बोला कि इससे हमे […]