तुम्हारी जय-जय-हमारी भी जय-जय!
—- ० आत्ममन्थन ०—- ★आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जयजयकारा कभी श्रद्धा-विश्वास के साथ होता था, अब तो वैसी आस्था किंवदन्ती बन चुकी है। यदि कोई बताता और सुनाता है तो ‘दन्तकथा’ से अधिक कोई आकार-प्रकार […]
—- ० आत्ममन्थन ०—- ★आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जयजयकारा कभी श्रद्धा-विश्वास के साथ होता था, अब तो वैसी आस्था किंवदन्ती बन चुकी है। यदि कोई बताता और सुनाता है तो ‘दन्तकथा’ से अधिक कोई आकार-प्रकार […]