आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय का संदेश

August 28, 2021 0

नदी अपनी स्वाभाविक गति में (‘गति से’ अशुद्ध है।) बहती रहती है। एक ढेला फेंकने के बाद कुछ क्षण तक जलान्दोलन बना रहता है, तदनन्तर वह अपनी पूर्व-गति पुन: प्राप्त कर लेती है। वह ढेले […]