गणनाप्रसंग मे प्रेमचन्द के आगे ठिठक जाते हैं पाँव!..?

August 1, 2023 0

कल (३१ जुलाई) प्रेमचन्द की जन्मतिथि/ जन्मदिनांक थी। कथा-विषय पर जब संवाद-परिसंवाद होता है तब समीक्षक पारदर्शिता के साथ ‘प्रेमचन्द’ से आगे बढ़ नहीं पाता है। यह अलग विषय है कि कतिपय साहित्यिक गुटों की […]

प्रेमचन्द के उपन्यासों में सामाजिक यथार्थ की दृष्टि और सृष्टि

July 31, 2022 0

प्रेमचन्द की जन्मतिथि (३१ जुलाई) पर विशेष प्रस्तुति ‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज के तत्त्वावधान में आज (३१ जुलाई) एक आन्तर्जालिक राष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन किया गया। प्रेमचन्द की जन्मतिथि के अवसर पर आयोजित ‘प्रेमचन्द के उपन्यासों […]

प्रेमचन्द की कथा में सामाजिक यथार्थ : मत और सम्मत

August 1, 2021 0

प्रेमचंद के उपन्यासों में सामाजिक यथार्थ आज भी जीवित है ★डॉ० प्रदीप चित्रांशी (साहित्यकार, प्रयागराज) मुंशी प्रेमचंद ने बहुत सी कहानियाँ,उपन्यास लिखे जो आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि उन्होंने वास्तविक परिस्थितियों का वर्णन जितनी वास्तविकता […]