अब रोना आता है मुझको, बच्चियाँ लाचार, कौन देखता है
डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ छोटे से दिमाग़ में बसा ली है दुनियाँ चारों और कौन देखता है चौतीस हो गयीं बर्बाद मुजफ्फरपुर कौन देखता है । उन्नाव, सूरत, मणिपुर, दिल्ली कौनसा हिस्सा बचा मेरे हिन्दुस्तान अब रोना आता है मुझको बच्चियाँ लाचार, कौन देखता है । जब तक बीते न ख़ुद पे बड़े व्यस्त हैं हम चलो प्रार्थना ही करलें पुकारें बेटियाँ कौन देखता है ।