सनातन धर्मानुसार मनुष्यों में न्याय की प्रवृत्ति का परिचय

May 8, 2023 0

जो अन्याय करता है, और कभी नहीं चाहता की न्याय हो, उसे निषाद कहते हैं।उसे अन्त्यज कहते हैं।उसे बहिष्कृत्य और परित्यज्य कहते हैं।उसे अस्पृश्य कहते हैं।उसे अछूत कहते हैं।उसे असामाजिक तत्त्व कहते हैं।उसे असभ्य कहते […]

जो ज्ञान-विज्ञान की कसौटियों पर खरा नहीं, वह सनातन धर्म का अंग भी नहीं

February 10, 2023 0

न्यायप्रेमी इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़े व मनन करें। आजकल की पूजा-पाठ को ही लोग धर्म समझ बैठे हैं..!किसी की पूजा और कोई विशेष तरह की उपासना या साधना या विशेष प्रकार का वस्त्र […]

सनातन सतधर्म में मनुष्यों पर केवल तीन ऋण

January 8, 2023 0

सैद्धांतिक दृष्टि से सनातन सतधर्म में मनुष्यों पर केवल तीन ऋण होते हैं… ये तीनो ऋण ब्रह्मचर्य आश्रम के 25 वर्षीय विद्यार्थी जीवन के दौरान उत्पन्न होते हैं। वह SQ तो इन तीनों ऋणों को […]