प्रेम देने से बढ़ता है मांगने से घटता है

February 9, 2023 0

मित्रता पाने की नहीं करने की चीज है।प्रेम तो मैत्री से भी ऊंचा है।प्रेम बाहर से नहीं मिलेगा।प्रेम तो प्रत्येक को अपने भीतर जगाना होता है वह भी अपने से अधिक श्रेष्ठ व्यक्ति के प्रति।निकृष्टों […]

यह सद्भाव ही प्रेम है

January 24, 2023 0

प्रेम जितना बढ़ेगा काम उतना अच्छा होगा। प्रेमपूर्वक किया गया काम अवश्य, सुंदर, शुभ, कुशल और सुफल होता है। झुंझलाहट से किया गया काम अधकचरा ही रहता है। प्रेम अपने भीतर ही जागता है सत्यनिष्ठा […]

समर्पण मे ही प्रेम की पूर्णता है

January 21, 2023 0

सर्वस्व समर्पित हुए बिना किसी का प्रेम पूर्ण नहीं होता।जब तन मन प्राण आत्मा से पूर्णतः समर्पित होकर मनुष्य अपने इष्ट में स्थित होता है तभी वह अपने स्वाभिमान से मुक्त होकर इष्ट ही हो […]