वक़्त-बेवक़्त
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय हमने जब सोचा,चैन से कट जायेगाज़िन्दगी का हर पल।समय ने दस्तक दी;एक गह्वर में डाल दी गयी,बटोरी हुई साँस;फ़ज़ा में उड़ा दी गयीं,मेरी बची-खुची रातें।मैं ठगा-सा देखता रह गयावक़्त की […]
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय हमने जब सोचा,चैन से कट जायेगाज़िन्दगी का हर पल।समय ने दस्तक दी;एक गह्वर में डाल दी गयी,बटोरी हुई साँस;फ़ज़ा में उड़ा दी गयीं,मेरी बची-खुची रातें।मैं ठगा-सा देखता रह गयावक़्त की […]
‘मुक्त मीडिया’ का ‘आज’ का सम्पादकीय — आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय : कल (६ जून) से पाकिस्तान की अन्दरूनी राजनीति में उबाल आ गया है। दशकों से पाकिस्तान के प्रभुतासम्पन्न राजनेताओं के साथ अपने सम्बन्ध-व्यापार […]
— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय भला यह कोई बात हुई, बातों-बातों में रात हुई। हमक़दम बन चलते रहे, मंज़िल के क़रीब घात हुई। मैं खड़ा रह गया दोराहे पे, वे आये और मुलाक़ात हुई। शातिर […]
★हिन्दी-पत्रकारिता दिवस (३० मई) पर राष्ट्रीय परिसंवाद-आयोजन “आज हिन्दी-समाचार चैनलों की कार्यपद्धति विश्वसनीय नहीं दिख रही है। स्थिति यह है कि सभी चैनलों के सूत्रधार (एंकर) जिस प्रकार की भूमिका में दिख रहे हैं, वह […]
देववाणी संस्कृत-भाषा में पच्चीस ग्रन्थों– ‘अध्यात्म रामायण’, ‘रामगीतागोविन्दम्’, ‘गीताशंकर’, ‘संगीतमाधवम्’, ‘राहुलरचनामृतं’, ‘गीतगिरीशम्’ आदिक के सम्पादक ‘शास्त्रचूणामणि’ से अलंकृत; ‘संगमनी’ नामक पत्रिका के विश्रुत सम्पादक तथा हिन्दी साहित्य-सम्मेलन प्रयाग’ के विद्वान् निवर्तमान प्रधानमन्त्री पण्डित प्रभात शास्त्री […]
त्वरित टिप्पणी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- चित्र में जो लड़की दिख रही है, उसका नाम ज्योति कुमारी है। वह दरभंगा के ‘कमतौल’ क्षेत्रान्तर्गत ‘सिरहुल्ली’ गाँव की रहनेवाली एक अति निर्धन परिवार की बेटी है। उसकी […]
–— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय हिचकी का सबब क्या है, बताइए हुज़ूर!परेशाँ हाले दिल को, अब सुनाइए हुज़ूर!कब तक भरमाइएगा, बाज़ीगरी दिखा के,चेहरा-पे चेहरा अब तो न, लगाइए हुज़ूर!लोग आपके हक़ीक़त से, वाक़िफ़ हैं यहाँ,रुख़ […]
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय– एक–कारवाँ रुके वा बढ़े, फ़िक़्र किस बात की,मंज़िल है पाँव तले, फ़िक़्र किस बात की?दो–रिश्ते अब सभी, ज़ख़्मी-से दिखते हैं,अपनों से बेहतर, ग़ैर यहाँ दिखते हैं।तीन–संगतराशी करते-करते, संगे दिल बन गया […]
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय– लगता है,कफ़न के कोर आतुर हैं,मेरी अँगुलियों के पोरों कोढकने के लिए।विवशताओं और बेचारगी कीबैशाखियों पर टँगा मैं,काली निशा की व्याप्ति को चीरने कीनाकाम कोशिशें कर रहा हूँ।बूढ़े बरगद की कोटर […]
शुद्ध शब्दप्रयोग (उदाहरण-सहित)यहाँ ‘से’ के स्थान पर ‘में’ का प्रयोग होता है; समझें :–★ मेरी समझ ‘में’ ऐसा ही है।★ तीव्र गति ‘में’ गाड़ी मत चलाओ।★ देर ‘में’ मत आना।★ गाड़ी देर ‘में’ आयेगी।★ क्रम […]
— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय इधर, हमारे देश में ‘रिजल्ट’ आने से पहले ही ‘सुसाइड’ करने का प्रचलन बढ़ गया है। ऐसे में ‘सिचुएशन’ अब बहुत ‘क्रिटिकल’ हो गया है। इसके लिए अब ‘सुसाइड कण्ट्रोलर’ […]
— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय साम्प्रतिक काल विघटन और संक्रमण का है, जो काल का चक्रीय अनुशासन है। ऐसी स्थिति में, संघटन, सह-अस्तित्व तथा सदाशयता की भावना और सद्इच्छा के साथ प्रबल जिजीविषा (जीने की […]
समस्त समाचार-चैनलवालों से– आप लोग जिन-जिन सड़क-मार्गों से सजीव समाचार-प्रसारण कर रहे हैं, वहाँ हज़ारों की संख्या में भूख-प्यास के मारे देशवासी निरुपाय स्थिति में भटक रहे हैं। आप सभी उनके लिए अपने साथ खाद्यपदार्थ […]