आगत-अनागत

June 19, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक : नभ से उतरा चाँद है, दिखता बहुत उदास। धरती सिसकी रातभर, नहीं दिखे अब आस।। दो : जड़-चेतन हैं सोच में, मानव बहुत कठोर। पापकर्म गठिया रहा, रात हो गयी […]