ग़ज़ल : कोई कट गया उनकी नज़रों से
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय कोई कट गया उनकी नज़रों से, परदा हट गया उनकी नज़रों से | झुकीं निगाहें क़हर बरपाती रहीं, मन फट गया उनकी नज़रों से | ग़ैरों में शामिल थे और अपनों में, […]
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय कोई कट गया उनकी नज़रों से, परदा हट गया उनकी नज़रों से | झुकीं निगाहें क़हर बरपाती रहीं, मन फट गया उनकी नज़रों से | ग़ैरों में शामिल थे और अपनों में, […]