मज़दूरों को एक गिलास ठंडे पानी के लायक भी नहीं समझने वाले इनके हक़ की बात करते हैं
राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’- समाजवाद रो रहा है । मानवाधिकार मिट गये । ऊपर वाले तेरी कायनात बंट गयी । हमारे लिए संस्कृति की दीवार बनाने वाला वह कर्म का पुजारी आज दुर्दिनों में है […]