‘छठि’ (छठ) के आवते अँखिया मे बचपन जीये लागल!
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• ‘छठि’ के नउवा सुनि के आपन गाँव, घर, दुआरि, डेरा, खरिहान, बर-बनिहार आ पाँड़े पोखरा याद आवे लागल। मुँड़ी पर फल-फूल, सिंघाड़ा, ठेकुआ, पूआ-मलपुआ, पूड़ी, भीगल चाना, उखि के गेँड़, […]