बालगीत : चारों तरफ है घना कुहासा, सूरज की किरणें अलसाईं
जगन्नाथ शुक्ल, इलाहाबाद किट किट करती ठण्ढी आई सबको याद रजाई आई । झर झर झर झर हवा बह रही , जगह जगह अलाव जलाई। ओस की बूँदें हैं मुसकाई, सर्दी से कलियाँ मुरझाईं। चारों […]
जगन्नाथ शुक्ल, इलाहाबाद किट किट करती ठण्ढी आई सबको याद रजाई आई । झर झर झर झर हवा बह रही , जगह जगह अलाव जलाई। ओस की बूँदें हैं मुसकाई, सर्दी से कलियाँ मुरझाईं। चारों […]