फ़िर कभी न अश्क़ से हम, यों मोहब्बत को भिगोएँगे
गीत जगन्नाथ शुक्ल..✍ (प्रयागराज) चल ग़ज़ल हम फ़ातिहा , पढ़ आयें ग़म की कब्र पे; फ़िर कभी न अश्क़ से हम, यों मोहब्बत को भिगोएँगे। रोष उनमें था बहुत , और दोष हममें कम न […]
गीत जगन्नाथ शुक्ल..✍ (प्रयागराज) चल ग़ज़ल हम फ़ातिहा , पढ़ आयें ग़म की कब्र पे; फ़िर कभी न अश्क़ से हम, यों मोहब्बत को भिगोएँगे। रोष उनमें था बहुत , और दोष हममें कम न […]
जगन्नाथ शुक्ल…✍(प्रयागराज) हम तो काँटा हैं मोहब्बत का छला क्या करते? गुल ही नादाँ है भँवरे से गिला क्या करते?हम तो हर हाल में शाखों से जुड़े रहते हैं; दिल के तूफ़ाँ में मुला क्या […]