‘सर्जनपीठ’ का ऑन-लाइन सारस्वत समारोह सम्पन्न
● आचार्य जी के कथनों-विचारों के पीछे ‘व्यक्तित्व’ की गरिमा थी। प्राचीनता की उपेक्षा न करते हुए भी नवीनता को समादृत करने में सिद्धहस्त आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने हिन्दीपद्य और गद्य की भाषा […]
● आचार्य जी के कथनों-विचारों के पीछे ‘व्यक्तित्व’ की गरिमा थी। प्राचीनता की उपेक्षा न करते हुए भी नवीनता को समादृत करने में सिद्धहस्त आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने हिन्दीपद्य और गद्य की भाषा […]