आँखों में सँभालता हूँ पानी, आया है प्यार शायद

April 12, 2019 0

आँखों में सँभालता हूँ पानी आया है प्यार शायद ख़ुशबू कैसी, झोंका हवा का घर में बार बार शायद । रात सी ये ज़िंदगी और ख़्वाब हम यूँ बिसार गए बार बार नींद से जागे टूट गया है ए’तिबार शायद । सिमटके सोते हैं अपने लिखे ख़तों की सेज बनाकर माज़ी की यादों से करते हैं ख़ुद को ख़बरदार शायद […]