सई नदी की करुण कथा : पौराणिक और ऐतिहासिक नदी मर रही है

कविता– अतिरिक्त

June 2, 2023 0

तुम चेहरे कीमुस्कुराहट पर मत जाओबहुत गम होते हैंसीने में दफन।तुम झूठीवफाओं में मत आओबहुत ख़्वाब होते हैंआधे अधूरे से।तुम इन सिमटी हुईनिगाहों पर मत जाओबहुत कुछ बिखरा हुआ होता हैछुपी हुई निगाहें में।तुम टूटे […]

घर है तुम्हारा

May 30, 2023 0

संँभाल लो ! घर संँवार लो !घर है तुम्हारा | बड़े नाजुक होते हैं दिल के रिश्ते,तुम इन्हें निभा लो!धीरे – धीरे बंद मुट्ठी में रेत की तरह फिसल जाएगा,मन में प्रायश्चित के सिवा कुछ […]

Poem: Journalism and challenges

May 30, 2023 0

In the news kingdom, where stories unfold.There is always truth buried and untold.A demanding work that means no rest.A relentless journey and a tireless quest. From dawn till dusk, it stretches wide.Like others nine-to-five it […]

माँ काली

May 27, 2023 0

कभी हंसा देती हैकभी रुला देती हैमाँ है मेरी कालीजो खुद से हीमोहब्बत करवा देती है। कभी जीवन जीना सिखा देती हैकभी मेरे गुनाहों को दफना देती हैमाँ है मेरी कालीजो काबिल-ऐ-तारीफशख्स मुझे बना देती […]

अमराई

May 22, 2023 0

चलो रे! ले चल भाई,मास जेठ की तपिश झुलसाई,बागों में ले चल चारपाई,बैठ गीत गुनगाई, बहे न पुरवाई,ललचे जिया मोरा देख अमराई,चलो री चल सखी, चलो रे माई। आज गुल्ली-डंडा खेल खूब होई रे, सिलो-पाती […]

अट्हास

May 12, 2023 0

मृत्यु फिर अट्हास करेगीबनकर कालतुझ पर वार करेगी,मत सोच तूबच जाएगा इस बार ,बचेगा वहीजिसके कर्म होंगे सही।मृत्यु का दूतजब अट्हास करेगाचुन-चुन करतेरे अपनों का नाश करेगा।न तुझे सोचने का वक्त देगान विचारने का समय।बस […]

विष बोते हैं देश मे, बोल घृणा के बोल

May 11, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–यहाँ दिख रहे साधु-सा, वहाँ दिखें शैतान।देखो! नज़र बदल रहे, रह-रहकर हैवान।।दो–सब अपने को ही मिले, अजब-ग़ज़ब यह चाह।देखो! लोग बिलख रहे, अन्धी दिखती राह।।तीन–विष बोते हैं देश मे, बोल […]

जीवंत पथ

May 5, 2023 0

आते रहेंगेजाते रहेंगेजीवन का गीतगाते रहेंगे।जीतेंगे कभीहारेंगे कभीमगर जीवन के पथपर चलते रहेंगे।आशा भी आएगीनिराशा भी आएगीमगर जीवन के पथपर जीवंत रहेंगे।अच्छे भी मिलेगेबुरे भी मिलेगेमगर फिर भी सबका सहयोगकरते-करते चलेंगे। राजीव डोगरा (भाषा अध्यापक)राजकीय […]

चुनावी राग-रंग

May 4, 2023 0

चुनावी राग-रंग― एक शातिर देखो हर जगह, रहे लगाते दावँ ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–सारे बिल हैं खुल गये, उछल-कूद है रोज़।ज़ोर मारते हर जगह, घर-घर करते खोज।।दो―कल तक अता-पता नहीं, अब हैं चारों […]

मतलबी

April 7, 2023 0

मैंने जहां देखा,मैंने तहा देखा।लोग मुझसे जुड़ेबस मतलब के लिए,न मेरे विचारों के लिएन मेरे लिए।जो भी मुझसे मुस्कायाकिसी न किसी,मतलब के लिएफरेब के लिए।न की अपनेपन के लिएहसीन आंखों ने मुझे भी तकापर न […]

अथाह अनुभूति

April 7, 2023 0

हजारों तंत्र हो मुझ मेंहजारों मंत्र हो मुझ मेंमैं फिर भी लीन रहू तुझ में।न ज्ञान का अहंकार हो मुझ मेंन आज्ञान का भंडार हो मुझ मेंमैं फिर भी लीन रहू तुझ में।योग का भंडार […]

दृढ़ता से बढ़ते चलो, पुरुष-अर्थ के साथ

March 24, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक―दिखें दोगले हर जगह, हरदम करते घात।दूरी कर लो दूर से, बने न कोई बात।।दो―दृढ़ता से बढ़ते चलो, पुरुष-अर्थ के साथ।ख़ुद मे तुम भरपूर हो, नहीं बढ़ाओ हाथ।।तीन―हर जगह चेहरे […]

कविता– रहने दो

March 24, 2023 0

कुछ ख्वाहिशें अधूरी हैतो रहने दो।मोहब्बत की तरफ पाव नहीं जातेतो रहने दो।अपनापन दिखा कर भीकोई अपना नहीं बनतातो रहने दो।मंदिरों मस्जिदों में घूम कर भीहृदय नेक पाक नहीं होतातो रहने दो।दिलों जान से मोहब्बत […]

आज का हाल

March 23, 2023 0

दिल में प्यार है,आंखों में नमी है,मन में उदासी,यही आज का हाल है।चेहरे पर मुस्कान है,दिल में दर्द है,दिमाग में सोच है,यही आज का हाल है।कहीं खामोशी है ,कहीं खुशहाली है ,कहीं निराशा है ,यही […]

विश्व जल दिवस पर अवधेश शुक्ल के दोहे

March 22, 2023 0

पानी मीठा चाहिए, जीव-जगत सब कोय ।अति आनन्द प्रीति तिया, काया जबहिं भिगोय ।। पानी पी-पी जग जिये, जुग-जुग अकट प्रमान ।पानी मत बिथराइयो, रखियो याको मान ।। पानी बहता निर्झरा, ऋतम्भरा हरसाय ।सीतल पानी […]

प्यार भरी लोरी

March 17, 2023 0

माँ! ममतामयी आंचल मेंफिर से मुझे छुपा लोबहुत डर लगता है मुझेदुनिया के घने अंधकार में।माँ! फिर से अपने प्यार भरेअहसासों के दीपमुझ में आकर जला दो।माँ! खो न जाऊं कहींदुनिया की इस भीड़ मेंमाँ! […]

पकड़ गिराओ धर्मान्धों को!

March 17, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय केवल धन्धा-केवल चन्दा,भक्ति-भाव है मन्दा।भक्त और भगवान् है कैसा,खेल खेलते गन्दा।सनातनी का खेल निराला,गले पड़ा ज्यों फन्दा।पकड़ गिराओ धर्मान्धों को!रगड़ो जैसा रन्दा।एक कबीर की और ज़रूरत,लाओ कहीं से बन्दा।(सर्वाधिकार सुरक्षित― […]

मैं चेतना हूंँ

March 15, 2023 0

मैं सोचती हूंँ ,जन्मतिथि पर तुम्हें क्या उपहार दूंँ ,तुम स्वयं में चेतना हो। जीवन जीने की कला है तुममें,तुम्हें क्या सीख दूँ ,तुम स्वयं में प्रज्ञा हो। नित नवीन सद्विचार लाती हो ,तुम्हें क्या […]

जीवन मेरा वसन्त

March 10, 2023 0

जीवन मेरा वसन्तमस्त रहती हूंँ अपनी दुनिया में,हंसती हूंँ हसाती हूंँ औरों को गले लगाती हूंँजीवन मेरा वसन्त। कोयल की कूक, पपीहे की पीहू ,गीत गाती गुनगुनाती हूँ,जीवन मेरा वसन्त। भेदभाव दूर करती हूंँ,प्रेम की […]

कविता– वजह

March 10, 2023 0

मेरे चेहरे कीरौनक की वजह तुम हो।मेरे लबों परआई मुस्कुराहट की वजह तुम हो।मेरे दिल कीहसरत की वजह तुम हो।मेरे मन में आएएहसासों की वजह तुम हो।मेरे गालों में आईरंगत की वजह तुम हो।मेरे ह्रदय […]

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