राष्ट्र व राज्य का विनाश या उत्थान दोनो राजा व प्रजा के सामूहिक कुकर्मों व सुकर्मों पर निर्भर करता है
सावधान देशवासियों;आज देश बद से बदतर हालात में पहुँचाया जा चुका है! यदि सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस “अरुण मिश्रा” जी को सार्वजनिक रूप से यह कहना पड़ रहा हो कि– “देश में कानून नही बचा, सुप्रीमकोर्ट […]