“कुछ इशारे थे, जिन्हें दुनिया समझ बैठे हम”– फ़िराक़
‘सर्जनपीठ’ का ‘अज़ीम शाइर फ़िराक़ गोरखपुरी और उनका काव्यदर्शन’-विषयक राष्ट्रीय आयोजन •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••एक ख़ूबसूरत एहसास का नाम है, फ़िराक़। ग़ज़ल, नज़्म, रुबाई के साथ-साथ, समालोचना और इतिहास पर भी क़लम चलानेवाले रघुपति सहाय फ़िराक़ गोरखपुरी यदि […]