मैं चैत्य हूँ गाँव के किनारे का
जगन्नाथ शुक्ल, इलाहाबाद- मैं चैत्य हूँ गाँव के किनारे का, आज जरूरत है मुझे सहारे की! मैंने देखा गाँव के बच्चों को बड़े होते, लड़ते – झगड़ते और हँसते – रोते ! मैं भी ख़ास […]
जगन्नाथ शुक्ल, इलाहाबाद- मैं चैत्य हूँ गाँव के किनारे का, आज जरूरत है मुझे सहारे की! मैंने देखा गाँव के बच्चों को बड़े होते, लड़ते – झगड़ते और हँसते – रोते ! मैं भी ख़ास […]