वक़्त ने चाल चल दी है
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बेपर्द: की बात करने लगे, बातों को वे कतरने लगे। ख़ुद को तूफ़ाँ समझते थे, बुलबुला से भी डरने लगे। वक़्त ने चाल चल दी है, हर गोटी को परखने लगे। देखते […]
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बेपर्द: की बात करने लगे, बातों को वे कतरने लगे। ख़ुद को तूफ़ाँ समझते थे, बुलबुला से भी डरने लगे। वक़्त ने चाल चल दी है, हर गोटी को परखने लगे। देखते […]