अभिरंजन कुमार (अरवल, बिहार)-
सुनो, तुम चाहें जितना प्रयास कर लो मैं तुम्हारे घर से बाहर नहीं जाने वाला । मैं यहां हूँ तो यहीं रहूंगा । तुम्हारी छाती पर ही कुंडली मार कर बैठूंगा । जो मर्जी आए कर लो । जिससे कहना है कह लो । मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा । मेरा नाम बदल सकते हो, इतिहास नहीं । तुम अपने हिसाब से मेरे बारे में सोचते रहो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता । तुम मुझे मिटाने के लिए जो चाहे कर लो लेकिन मिटा नहीं पाओगे । तुम लाख बुरा चाहो, जब तक मेरे चाहने वाले रहेंगे कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे । मैं जैसा हूं वैसा ही रहूँगा । चाहो तो तुम अपने हर कागजात से मेरा नाम काट दो । लोग याद रखेंगे मुझे, प्यार का पैगाम देने के लिए । याद रखना! दुनिया मेरी मोहब्बत और खूबसूरती की मिसाल देगी । तुम जब थककर बिस्तर पर नींद के आगोश में समा जाओगे, तब चांदनी रात में मैं अकेला चमकता रहूंगा । मैं नहीं बदलने वाला । एक बात और तुम बदल जाओगे, तुम्हारे वजीर बदल जाएंगे, बदल जाएंगे तुम्हारे प्यादे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा । मैं सदियों से जैसा था वैसा ही रहूंगा । मेरी बातों में तुम्हे अकड़पन दिख रहा है न । हां है… लेकिन ये जान लो कि मैं यह घमंड के साथ नहीं कह रहा, यही सच्चाई है ।