हिन्दुस्तान, लखनऊ-कार्यालय मे हमने भाषिक विमर्श किया

गत ११ नवम्बर को मै अपने प्रिय सम्पादक सुनील द्विवेदी जी, लखनऊ से मिला और उनके सम्पादकीय विभाग के लिए अपनी भाषिक कृति ‘आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला’ प्रदान की थी। अनुजसम प्रियवर सुनील जी से मेरी विधिवत् वार्त्ता लगभग दो दशक-बाद हुई थी, तब वे प्रयागराज मे हिन्दुस्तान के ही सम्पादक थे। वे केवल पत्रकार नहीँ हैँ, अपितु एक साहित्यकार एवं समयसत्य विचारक भी हैँ, जिसे प्रमाणित कर रही है, सद्य: मुद्रित उनकी कथात्मक कृति ‘जाफरी चच्चा अब नहीं चीन्हते’, जोकि उनके कहानी-संग्रह की प्रथम कहानी है। निस्संदेह, संग्रह का नाम आकर्षक है, जो पाठकवर्ग को अपनी ओर खीँचता है। मैने सुनील जी को अपनी सम्पादित कृति ‘स्वातन्त्र्य-समर मे इलाहाबाद का शंखनाद’ और हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के मुखपत्र ‘राष्ट्रभाषा संदेश’ पाक्षिक समाचारपत्र के ‘हिन्दीभाषा-उत्थान-विशेषांक भी प्रदान किये थे।

हमने वर्तमान पत्रकारिता के विविध पक्षोँ पर विमर्श किये थे तथा अतीत के अनेक संदर्भोँ को प्रासंगिक भी।

दीर्घकाल से शब्दप्रयोगस्तर पर पत्रकारिता के क्षेत्र मे जिस प्रकार से क्षरण होता आ रहा है, उस पर हमने गम्भीरतापूर्वक विमर्श किये थे। मैने देश के समस्त समाचारपत्रोँ मे प्रयोग किये जा रहे अशुद्ध और आपत्तिजनक शब्दप्रयोग के प्रति भी सुनील जी का ध्यानाकर्षण किया था, जिन्हेँ समझते हुए, उन्होँने अपनी शब्दशुचिता के प्रति समर्थन प्रकट करते हुए बताया था, ” हमारे प्रधान सम्पादक जी (श्री शशि शेखर) समाचारपत्र मे शुद्ध शब्दप्रयोग करने के प्रति सजग हैँ और गम्भीर भी।”

हमने शुद्ध शब्दोँ और विरामचिह्नो :– अधिगृहीत, अनुगृहीत, संगृहीत, शिक्षणेतर, साहित्येतर, प्रज्वलन- प्रज्वलित, उज्ज्वल, बढ़ोतरी, शुभकामना, शत-शत, आयुष्मान् भव!, पालि-भाषा, लोग, संवत् जन्मदिनांक, जन्मतिथि, आरोपी-आरोपित, सिक्ख, विज्ञानी-वैज्ञानिक, प्रावधान-प्रविधान, ओलिम्पिक, अल्प विरामचिह्न, अर्द्ध विरामचिह्न, उपविरामचिह्न, योजकचिह्न, निर्देशकचिह्न के उपयुक्त प्रयोग, दिनांक के बाद वर्ष लिखने से पूर्व अल्प विरामचिह्न का प्रयोग (११ नवम्बर, २०२४) आदिक पर सकारण विचार किये थे। उनका यह भी कहना था, ”समाचारपत्रोँ मे शुद्धतापूर्वक शब्दप्रयोग कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कर्मशाला-आयोजन कराने की आवश्यकता है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १२ नवम्बर, २०२४ ईसवी।)