चिन्तन की कड़ी——-

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

विफलता आप हैं और सफलता भी | जीवन के दो केन्द्र-बिन्दु हैं– सकारात्मक और नकारात्मक | जहाँ से आप अपनी जीवन-यात्रा आरम्भ करते हैं, वहीं पर वे दोनों विन्दु अवस्थित हैं, जो आपके साथ-साथ चलना प्रारम्भ कर देते हैं | ऐसे में, आप यदि किसी एक के प्रति स्वयं को सम्पृक्त कर रहे होते हैं तो ऐसा नहीं है कि दूसरे से आप विरक्त हो पा रहे हैं | आपके अवचेतन में दूसरा भी आपके साथ-साथ यात्रा कर रहा होता है | उस अन्तर्यात्रा के प्रति भी आपको सजग और सचेष्ट रहना पड़ेगा | कहीं ऐसा न हो कि सकारात्मकता के अतिरेक में नकारात्मकता की कुटिल मति-गति के दुष्चक्र में पड़कर आपकी सकारात्मक यात्रा गन्तव्य-प्राप्ति से पूर्व ही काल-कवलित हो जाये |

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ५ जुलाई, २०२० ईसवी)