जनधन योजना का फैसला बैंकिंग और वित्त मामलों के लिए है मील का पत्थर

बैंकिंग जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था से तीन वर्ष पूर्व तक देश का एक बड़ा तबका गायब था । मजदूरी कर पेट पालने वाले, रेहड़ी वाले, रिक्शे वाले या जरूरत भर को ही कमा पाने वाले लोग बैंक खातों के बारे में सोचते भी नहीं थे । लेकिन 2014 में केन्द्र की नयी भाजपा सरकार के मुखिया नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी दृष्टिकोण के चलते वंचित तबके के लोगों को बैंकों से जोड़ने पर अमल शुरू हुआ और प्रधानमन्त्री जन धन योजना का आगाज़ हुआ । मोदी सरकार का यह जनधन योजना का फैसला बैंकिंग और वित्त मामलों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ ।

जन धन योजना के तीन सफल वर्षों का अनोखा इतिहास रहा है । सरकार की प्रतिबद्धता और प्रधानमन्त्री मोदी की करिश्माई अपील पर भारत की आम जनता ने अब तक साढ़े उन्तीस करोड़ के लगभग (29.52 करोड़) खाते बैंकों में खुलवाए हैं । जन धन के खातों में अब तक लगभग 70 हजार करोड़ रूपए (65844.68 करोड़) जमा किए गए हैं । सरकार के हवाले से बैंकों द्वारा डिजिटल लेन-देन के प्रोत्साहन और बैंकों में भीड़ से बचने के लिए 22.71 करोड़ रूपे कार्ड भी जारी किए गए हैं ।