राजेन्द्र जी (विश्व संवाद केन्द्र लखनऊ)-
भारत को डोकलाम से सेना हटाने का कोई औचित्य नहीं है सेना को हटाने का विचार तो वास्तविक रूप मे चीन को करना चाहिए क्योंकि अपनी विस्तारवादी नीति के कारण उसने भारत को डोकलाम में सेना लगाने के लिए मजबूर किया है और अब भारत को सेना हटाने के लिए कह रहा है जो सरासर गलत है। चीन पिछले 55 साल से भारत को इसी प्रकार की धमकी देकर काफी नुकसान करता आ रहा है आखिर भारत कबतक बर्दाश्त करता रहेगा इसलिए अब “आर-पार हो जाने दो ” रोज रोज मरने से अच्छा है एक बार मरजाना।
आज एक सच्चाई बताने में कोई संकोच नही है और वह है चीन वास्तविक रूप से बाहर और भीतर दोनो तरफ से खोखला हो चुका है आज दुनिया में उसका कोई मित्र नहीं है जो हैं भी वे अपने स्वार्थ के कारण दूसरा यह कि चीन अपनी बढती आबादी, लगभग 20 प्रतिशत लोग भुखमरी के शिकार हो चुके हैं के कारण भी अत्यधिक दबाव में है तीसरा भारत की कूटनीति के कारण बड़ी संख्या मे लोग सरकार से बगावत के पर आमादा हैं क्योंकि भारत से होने वाले नुकसान की भरपाई करना उनके लिए मुश्किल है चाहे वो व्यापारी हैं या मजदूर।
आज भारत और चीन की सामरिक रूप से जब चिंता करते हैं तो तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस की वह चौपाईयां अनायास याद आ रही है जब राम और रावण की सेना युद्ध के लिए आमने-सामने खड़ी हैं और विभीषण दोनो सेनाओं को तुलनात्मक रूप से देखकर कहते हैं — रावण रथी विरथ रघुवीरा देखि विभीषण भयहु अधीरा तब राम कहते हैं ”
सुनहु सखा कह कृपा निधाना, जेंहि जय होइ सो स्यंदन आना।
सौरज धीरज तेहि रथ चाका, सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका।
बल विवेक दम परहित घोरे, क्षमा कृपा समता रजु जोरे। ईस भजनु सारथी सुजाना , बिरति चर्म संतोष कृपाना। दान परसु बुधि सक्ति प्रचंडा, बर बिज्ञान कठिन कोदंडा। अमल अचल मन त्रोन समाना, सम जम नियम सिलीमुख नाना।
कवच अभेद बिप्र गुरु पूजा, एहि सम विजय उपाय न दूजा।
सखा धर्ममय अस रथ जाके, जीतन कहॅ न कतहुॅ रिपु ताकें।
महा अजय संसार रिपु जीति सकइ को बीर।
जाकें अस रथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर।।
भारत प्रभु श्रीराम के पद चिन्हों पर चलकर चीन के कुटिल चाल और उसकी नीचता जो अबतक भारत के साथ करता आया है सबका बदला लेकर मय ब्याज चुकाने में सक्षम है। इसलिए हानि लाभ की चिंता किए बिना चीन को मुंहतोड जबाब देने की आवश्यकता है जो भारत पर वह बलात् थोप रहा है इसी में भारत की भलाई है। जय श्रीराम ।