उत्तरप्रदेश की सरकारी प्राथमिक शालाओं में ‘ऑन-लाइन’ पढ़ाई का सच

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

सरकारी प्राथमिक शालाओं में ‘ऑन-लाइन’ पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ छलावा किया जा रहा है; क्योंकि ऐसी पाठशालाओं में अधिकतर वे बच्चे पढ़ रहे हैं, जिनके माँ-बाप किसी भी तरह से अपना परिवार चला रहे हैं। ऐसे में, उनके पास ऐसे उपकरण और माध्यम नहीं हैं, जिनसे कि वे ‘ऑन-लाइन’ पढ़ाई कर पायें। इतना ही नहीं, जलपान-भोजन; कपड़े– स्वेटर इत्यादिक और जूते-मोजे के लोभ में सरकारी पाठशालाओं में जानेवाले अधिकतर बच्चों के माता-पिता का लक्ष्य ‘पढ़ाई’ नहीं होता; क्योंकि वे जानते रहते हैं कि आगे की पढ़ाई और परीक्षाओं की तैयारी में होनेवाले ख़र्च का वहन वे नहीं कर सकेंगे। यही कारण है कि बड़ी संख्या में ऐसी पाठशालाएँ हैं, जहाँ वहाँ की अध्यापिकाओं और अध्यापकों पर दबाव डाला जाता है कि वे आस-पास के क्षेत्रों में जाकर बच्चों को ले आयें। दूसरी ओर, सरकारी पाठशालाओं में बच्चों को बिना योग्यता के आधार पर ‘कोरोना’ की आड़ में प्रोन्नत कर दिया जाता है। इस तरह से सरकारी लोग अपनी पीठ थपथपाकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।

आश्चर्य है! बेसिक शिक्षा-मन्त्रालय के मन्त्री और मुख्यमन्त्री इस विषय के प्रति उदासीन दिख रहे हैं, जो कि बच्चों को उनके शैक्षिक जड़ से काटने का एक प्रकार का उपक्रम सिद्ध हो सकता है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १९ दिसम्बर, २०२० ईसवी।)