साफ़ दिख रही, एक गवर्नर की गुण्डई!..?

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

एक राज्य का मुख्यमन्त्री विश्वासमत प्राप्त करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की बात कर रहा है; किन्तु उस राज्य का एक राज्यपाल प्रकरण को उलझाये हुए है। वह विधान-सभाध्यक्ष के अधिकारक्षेत्र में अनधिकृत रूप से हस्तक्षेप कर रहा है, जो कि केन्द्रीय शासन में काम करनेवाले लोग की शह पर वैसा कर रहा है। इतना ही नहीं, उस राज्यपाल का उक्त कृत्य उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध भी है।

क्या यह उस राज्यपाल की ‘राजनीतिक’ गुण्डई नहीं है?
हाल ही में मध्यप्रदेश के राज्यपाल ने वहाँ की काँग्रेस-सरकार को वहाँ से हटाने में नियम-विरुद्ध कृत्य कर अपनी घृणित भूमिका का परिचय दे चुका है।

वास्तव में, जब केन्द्र-शासन के प्रमुख लोग अपने दल के थके-हारे विधि से हीन लोग को ‘राज्यपाल’ बनाते आ रहे हैं तब उनसे न्याय की आशा भला कैसे की जा सकती है?
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २५ जुलाई, २०२० ईसवी)