आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय के विचार

विचारणीय ० —————

इस असार संसार में बड़ी संख्या में ऐसे मनुष्य हैं, जो मूल्यों के क्षरण के प्रति चिन्तित रहते हैं; किन्तु जब उन कारकों का प्रतिकार करने का समय आता है तब ऐसे तथाकथित आदर्शवादी मनुष्य अपनी खोली में घुस जाते हैं। वस्तुतः मूल्यों के क्षरण के लिए ऐसे घृणास्पद चेहरे ही उत्तरदायी होते हैं। यहाँ ऐसे चेहरों की संख्या कल्पनातीत हैं, जो एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में लगे हुए हैं; किन्तु वस्तुस्थिति यह है कि वे स्वयं के प्रति भी ईमानदार नहीं रहते।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३ जुलाई, २०२० ईसवी)