पहचानिए! ये हैं, ‘राष्ट्रवाद के ठीकेदार’

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

कुछ लोग एक मंच पर खड़े हैं। देखने मे तो कथित क़िस्म के नेता ही लग रहे ह़ैं। मंच के सामने उत्तरप्रदेश के मुख्यमन्त्री आदित्यनाथ योगी का चेहरा भी दिखाया गया है। ज़ाहिर-सा है, ये कथित राष्ट्रवादी लोग ‘भारतीय जनता पार्टी’ अथवा ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ अथवा उन्हीं के टोले-मुहल्ले के सिपहसालार लग रहे हैं। इतना ही नहीं, मंच पर जो एक-दो पैण्ट-शर्ट मे ‘स्मार्ट सिटी की उपज दिख रहे हैं, वे भी “दूरत: शोभते मूर्खो लम्बशाटपटावृत:” को चरितार्थ करते अँखिया रहे हैं।

अफ़्सोस का विषय है कि उन सभी को तिरंगे ने ऐसा उलझा दिया है कि उन्हें यही नहीं मालूम कि तिरंगे का ऊपरी हिस्सा हरे रंग का है अथवा केसर रंग का। बेचारे पढ़े कहाँ तक हैं, यह तो ‘जय सिरीराम’ जाने, हम तो इतना जान गये कि इस सब ‘मिर्ची बाबा’ के ‘बुरबक’ शिष्य-सरीखे लग रहे हैं। सामने खड़े किसी ने इन सबके लम्पटिया काम को करते हुए देखकर टोक दिया कि उलटा झण्डा दिखा रहे हो, तो फिर क्या! वे सब ‘चतुर-मूर्ख नेतवे’ सामने के हिस्से को पलट कर दिखाने लगे; अर्थात् पेट को ‘पीठ’ बना दिये। वे सब पैर को सिर और सिर को ‘पैर’ समझकर अपनी ‘बुरबकिया’ आ ‘लम्पटिया’ बुद्धि का परिचय दे रहे हैं। अब, अगर आप लोग भी नहीं ‘पतियाते’ हैं तो देख न लीजिए– हाथ कंगन को आरसी क्या?

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १७ अगस्त, २०२२ ईसवी।)