भारत माँ के लिए 19 साल का युवा खुदीराम बोस हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गया । इस महान स्वतंत्रता सेनानी की पुण्यतिथि पर उन्हें देश शत्-शत् नमन करता है । खुदीराम बोस का नाम इतिहास में एक “अग्नि पुरुष” के रूप में लिया जाता है । खुदीराम बोस का जन्म बंगाल के मिदनापुर जिले के तामलुक शहर के हबीबपुर जैसे छोटे गाँव में 3 दिसम्बर 1889 को त्रिलोकनाथ बोस और लक्ष्मीप्रिया देवी के परिवार में हुआ था । खुदीराम बोस बंगाल में ब्रिटिश कानून के खिलाफ लड़ने वाले मुख्य क्रांतिकारी थे । अंग्रेजों के खिलाफ वैचारिक आन्दोलन चला रहे श्री औरोबिन्दो से प्रेरित होकर वे श्री औरोबिन्दो और भगिनी निवेदिता के गुप्त अधिवेशन में शामिल हुए।खुदीराम बोस आज़ादी के आन्दोलन के इतिहास में सबसे शक्तिशाली और युवा क्रांतिकारी की हैसियत रखते हैं । खुदीराम बोस भारत को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के अपने इस अभियान से कभी पीछे नहीं मुड़े । बीसवीं सदी की शुरुवात में ही शहीद होने वाले वह पहले क्रांतिकारी थे । अपने सपने को पूरा करने के लिए खेलने की उम्र में ही वह मौत का वरम करने से भी नहीं हिचके ।
खुदीराम बोस का परिचय-
- 1889 – खुदीराम का जन्म 3 दिसम्बर को हुआ।
- 1904 – वह तामलुक से मेदिनीपुर चले गये और क्रांतिकारी अभियान में हिस्सा लिया।
- 1905 – वह राजनैतिक पार्टी जुगांतर में शामिल हुए।
- 1905 – ब्रिटिश सरकारी अफसरों को मारने के लिए पुलिस स्टेशन के बाहर बम ब्लास्ट।
- 1908 – 30 अप्रैल को मुजफ्फरपुर हादसे में शामिल हुए।
- 1908 – हादसे में लोगो को मारने की वजह से 1 मई को उन्हें गिरफ्तार किया गया।
- 1908 – हादसे में उनके साथी प्रफुल्ल चाकी ने खुद को गोली मारी और शहीद हुए।
- 1908 – खुदीराम के मुक़दमे की शुरुवात 21 मई से की गयी।
- 1908 – 23 मई को खुदीराम ने कोर्ट में अपना पहला स्टेटमेंट दिया।
- 1908 – 13 जुलाई को फैसले की तारीख घोषित किया गया।
- 1908 – 8 जुलाई को मुकदमा शुरू किया गया।
- 1908 – 13 जुलाई को अंतिम सुनवाई की गयी।
- 1908 – खुदीराम के बचाव में उच्च न्यायालय में अपील की गयी।
- 1908 – खुदीराम बोस को 11 अगस्त को फांसी दी गयी।