16 सितम्बर : अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस

प्रदीप नारायण मिश्र प्रवक्ता (रसायन विज्ञान), पी.बी.आर.इण्टर कॉलेज तेरवा गौसगंज हरदोई-


ओजोन नीले रंग की गैस है। वायुमण्डल के समतापमण्डल में समुद्रतल से लगभग 25 किमी. की ऊँचाई पर ओजोन की सान्द्रता बहुत अधिक होती है।ओजोन परत सूर्य की परावैगनी (UV) किरणों को अवशोषित कर भू -पृष्ठ पर जीवों की रक्षा करती है।
ओजोन का निर्माण ऑक्सीजन पर सूर्य की पराबैगनी किरणों के द्वारा होता है। प्राकृतिक रूप से ओजोन परत का निर्माण एवं तड़ित द्वारा उत्पन्न NO गैस व सूर्य की UV किरणों द्वारा ओजोन का क्षय सतत चलता रहता है जिससे ओजोन की पर्याप्त सान्द्रता बनी रहती है परन्तु विज्ञान व प्रौद्योगिकी के विकास के साथ -साथ ओजोन परत का क्षरण बढ़ता जा रहा है। प्रशीतन व अनूकूलन में प्रयुक्त CFC’S के अपघटन से प्राप्त क्लोरीन मुक्त मूलक , वाहनों व वायुयानों के इंजनो के दहन से प्राप्त NO आदि ओजोन को ऑक्सीजन गैस में अपघटित कर रहे हैं।
ओजोन परत के क्षरण से त्वचा कैंसर, असमय बुढ़ापा, ल्यूकीमिया , फेफड़ों का कैंसर,अन्धापन आदि घातक रोग बढ़ सकते हैं ।
ओजोन परत को बचाये रखने के लिए ऐसे भवनों का निर्माण किया जाय जिसमें प्रकाश ,हवा ,ऊर्जा के लिए प्राकृतिक स्रोतों का प्रयोग हो।हेयर स्प्रे, रूम फ्रेशनर आदि का प्रयोग कम से कम किया जाये। प्रयोग किए जाने वाले प्रशीतक व वातानुकूलक ,वाहन आदि ओजोन फ्रेन्डली हों।
आज आवश्यकता इस बात की है हम सभी ओजोन परत संरक्षण हेतु जागरूक रहें । संरक्षण हेतु विभिन्न उपायों को अपनाकर हम स्वयं का और आने वाली नयी पीढ़ी का भविष्य सुखमय बना सकते हैं। CFC’s को अधिकांश देशों में बैन कर दिया गया है । इसके विकल्प के रूप में प्रयुक्त HFC’s सुपर ग्रीनहाउस गैस है ।यह आने वाले समय में वैश्विक जलवायु को जलवाष्प, कार्बनडाइआक्साइड, मेथेन आदि से भी अधिक प्रभावित कर सकता है।