विलम्ब रात्रि मे १.१५ बजे से २.२० बजे तक प्रयागराज की मुख्य सड़कों पर कानफाड़ू ड्रम बजाने की अनुमति किसने दी थी?

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

विलम्ब रात्रि मे १.१५ पर अलोपीबाग़, प्रयागराज से डी० जे० बजाते हुए अराजक तत्त्व निकले थे, जिसकी आवाज़ विलम्ब रात्रि मे २.२० तक सुनायी दे रही थी। उसकी कर्कश धुन अतीव घातक थी, जो प्रयागराज की सड़कों को हिला रही थी।

मैने तत्काल ११२ नम्बर पर फ़ोन कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया था। उसके पाँच मिनट के ही भीतर मेरे पास ११२ नम्बर वाहनवाले पुलिसकर्मी का ९६५१३८३९०६ मोबाइल फ़ोन नम्बर से आवाज़ आयी थी, “मेरे साथ चलिए और बताइए कि कहाँ से ड्रम की आवाज़ आ रही है।” उस ड्रम की आवाज़ इतनी अधिक तीव्र थी कि कुत्ते तक भौंकने लगे; लेकिन उपर्युक्त मोबाइल फ़ोन-धारक ११२ नम्बर की पुलिस गाड़ी पर बैठे पुलिसकर्मी को वह कानफाड़ू ड्रम की आवाज़ सुनायी नहीं दी थी, आश्चर्य होता है। मैने उससे कहा, “आप पता लगाइए कि आवाज़ कहाँ से आ रही है। मैने आपको जगह बता दी है। मै इस समय कहीं नहींं जाऊँगा। पता लगाने की ज़िम्मादारी आपकी बनती है, मेरी नहीं।” इतना सुनते ही उसने अपना फ़ोन बन्द कर दिया था।

देखा तो नहीं था कि हृदय पर आघात करनेवाला डी० जे० कौन बजा रहा था। ठीक उसी तरह की आवाज़ थी जिस तरह की बरात निकालते समय कानफाड़ू बाजे बजाये जाते हैं; लेकिन अन्दाज़ा यही है कि बिगड़ैल क़िस्म के काँवरिये होंगे, अन्यथा पुलिस-प्रशासन इतनी विलम्ब रात्रि मे, जब सभी लोग गहरी निद्रा मे सो रहे थे, किसी को भी ऐसे कृत्य करने का अनुमति नहीं देता।

जो भी लोग विलम्ब रात्रि मे इस प्रकार के आपराधिक कृत्य कर रहे थे, उनके विरुद्ध पुलिस-प्रशासन के अधिकारी काररवाई करने के नाम से ही काँप जायेंगे; क्योंकि उस घटिया क़िस्म की मनोवृत्ति को उत्तरप्रदेश के मुख्यमन्त्री आदित्यनाथ योगी का प्रश्रय प्राप्त है; लेकिन अदृश्य गुण्डों का यह कारनामा बेहद घटिया था, जिसमे प्रयागराज-पुलिस-प्रशासन की पूर्ण सहमति थी, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २ अगस्त, २०२२ ईसवी।)