आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने हिन्दी भाषा-कर्मशाला में समझायीं भाषा और व्याकरण की बारीक़ियाँ

शुद्ध हिन्दी का उच्चारण और लेखन-स्तर पर ग्रहण करने की विकसित करें क्षमता

ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण-संस्थान (डाइट), मथुरा के संयोजन में डाइट के मुक्तांगन में गुरुवार से आयोजित की जा रही त्रिदिवसीय हिन्दीभाषा-कर्मशाला में स्थानीय परिषदीय विद्यालयों की लगभग तीन सौ अध्यापक-अध्यापिकाओं ने भागीदारी की। प्रयागराज से पधारे भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि शुद्ध हिन्दी को उच्चारण और लेखन-स्तर पर ग्रहण करने की क्षमता विकसित करनी होगी।

उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहीं छात्र-छात्राओं को हिन्दी का सही ज्ञान हो सके, इसके लिए अध्यापकों की हिन्दी भी बेहतर होनी ज़रूरी है। पहले दिन आचार्य पंडित पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने बताया कि हिन्दी की लिपि वैज्ञानिक है और उसकी भाषा प्रभावकारी, जबकि अँगरेज़ी के शब्दों में स्वर और व्यंजन से युक्त शब्दों को शुद्ध लिखना सम्भव नहीं है; जैसे– रमा, राम आदिक; लेकिन हिन्दी को शुद्ध लिखा और पढ़ा जा सकता है; क्योंकि उसके व्याकरणिक नियम में विभेदीकरण नहीं होता। उन्होंने हिन्दी की व्यावहारिक अशुद्धियों को दूर करने के साथ कर्त्ता, कर्म, उच्चारण, विरामचिह्न की गलतियां भी बतायीं, साथ ही छात्र-छात्राओं को समझाया कि किस तरह शब्दों का मौखिक और लिखित भाषाओं में व्यवहार करें। उन्होंने भाषा व्याकरण, संरचना, व्यावहारिक हिन्दी, अशुद्ध प्रश्न, कार्यालयीय शब्दप्रयोगों में होने वाली गलतियों पर प्रकाश डाले। उन्होंने शुद्ध और उपयुक्त हिन्दी के प्रयोग करने के लिए प्रेरित भी किये। इतना ही नहीं, उन्होंने शिक्षक-शिक्षिकाओं के पास जाकर उनकी हिचक दूरकर प्रश्न करने के लिए प्रेरित भी किया। इसके बाद शिक्षक-शिक्षिकाओं ने व्यवहार-स्तर पर सामान्य रूप से होनेवाली गलतियों पर सवाल किये, जिनके जवाब उन्होंने बेहद रोचक तरीके से दिये। यू ट्यूब के माध्यम से भी प्रश्न किये गये थे। कर्मशाला 18 दिसम्बर तक चलनी है। शुक्रवार को भी वे हिन्दी की अशुद्धियों को दूर करने की जानकारी देंगे । डाइट प्राचार्य डॉ० महेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि छात्र-छात्राओं, शिक्षक-शिक्षिकाओं की हिन्दी शुद्ध करने के लिए त्रिदिवसीय कर्मशाला का आयोजन किया गया है। अनिल दिवाकर ने भाषा के उद्भव और विकास पर प्रकाश डाला। डॉ० सोहनलाल ने हिन्दी उच्चारण में की जा रही अशुद्धियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। इस अवसर पर रणविजय निषाद, उप-प्राचार्य गिरधारीलाल कोली, श्रद्धा गौतम, राजकमल, सी०पी० सिंह, हिमांशु रावत, नरेंद्र सिंह, हरिओम, रमेश कुमार, अश्विनी कुमार आदिक मौजूद रहे ।