——० संरचना-पक्ष ०—–
★ रचना— किसी भी उस पद्य अथवा गद्य-कृति को ‘रचना’ कहते हैं, जिसका प्रवाह नैसर्गिक होता है और सर्जन करने के लिए किसी का आश्रय नहीं लेना पड़ता।
★ लेख— किसी विषय पर सांगोपांग अथवा एकांगी दृष्टि से विषय-प्रधान और शास्त्रीय पद्धति में प्रकाशित गद्यबद्ध विचारों को प्रकट करनेवाले लेखन को ‘लेख’ कहते हैं।
★ निबन्ध— लेखक के ज्ञान, भाव, चित्त-दशा, अभिरुचि तथा व्यक्तित्व के समस्त अंगों में अनुरंजित आत्मानुभूतिपरक विषय का सार्वांगिक अथवा ऐकांगिक प्रतिपादन ही निबन्ध की श्रेणी के अन्तर्गत आता है।
★ प्रबन्ध— किसी विषय के विस्तृत, सर्वांगीण, पूर्ण तथा वस्तुपरक अध्ययन को निबद्ध करनेवाली गद्य-रचना को ‘प्रबन्ध’ कहते हैं।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ६ अगस्त, २०२१ ईसवी।)