आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

कल (१३ मार्च) शनिवार होगा और आप प्रति सप्ताह की भाँति ‘दैनिक जागरण’, ‘नई दुनिया’ तथा ‘नव दुनिया’ के सप्तरंग पृष्ठ पर ‘हिंदी हैं हम’ के अन्तर्गत हमारी शनिवासरीय ‘भाषा की पाठशाला’ में यह ज्ञान प्राप्त करेंगे कि आपको कहाँ पर ‘आभार’, ‘कृतज्ञता’, ‘धन्यवाद’ तथा ‘साधुवाद’ का ज्ञापन करना है। इतना ही नहीं, आप ‘अनुगृहीत’ का प्रयोग शुद्ध है अथवा अशुद्ध, इसका संबोधन करेंगे, साथ ही और उसके व्यावहारिक रूप का भी।

प्राय: प्रत्येक आयोजन में, लोग बिना सोचे-जाने-समझे ‘धन्यवाद’ का प्रयोग करते हैं; इतना ही नहीं, इस ‘मुक्त मीडिया’ (सोसल/सोशल मीडिया) के लोग भी ‘देखा-देखी’ ‘धन्यवाद’ ज्ञापन करते दिखते हैं, जो कि शुद्ध शब्द होने के बाद भी पूर्णत: अनुपयुक्त प्रयोग है।

अब आप सोचते होंगे और स्वयं से प्रश्न भी करते होंगे– भला ऐसा कैसे हो सकता है?

बेशक, हो सकता है नहीं, होता है। अब आप अपनी जिज्ञासा का शमन करने के लिए अपने (यहाँ ‘अपनी’ का प्रयोग अशुद्ध है; क्योंकि उसके साथ ‘अनुसार’ जुड़ा हुआ है, जो पुंल्लिंग का बोधक है।) उपलब्धता और सुविधानुसार उपर्युक्त समाचारपत्रों के कल का अंक क्रय करके अपना ज्ञानवर्द्धन करना होगा और ‘दैनिक जागरण-प्रतिष्ठान’ के स्वामी सम्मान्य संजय गुप्त जी और राष्ट्रीय सम्पादक सम्मान्य विष्णुप्रकाश त्रिपाठी जी के प्रति ‘कृतज्ञता-ज्ञापन’ करना होगा, जिनकी जागरूकता और सजगता का द्योतक है, उक्त भाषिक स्तम्भ, जो निरन्तर तीन वर्षों से अपना अनन्य और अभिनव प्रस्तुति करता आ रहा है।
तो आइए! कल (१३ मार्च) की प्रतीक्षा करें।