आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला


★ समाचार-चैनल : ‘न्यूज़ 24’

यहाँ सबसे ऊपर एक चित्र दिया गया है। इस चित्र के अन्तर्गत दिखाये गये समाचारों का व्याकरण के निकष पर हम भाषिक परीक्षण करेंगे।

आइए! चलते हैं, अपनी ‘प्रायोगिक भाषिक कर्मशाला में।

अब हमने समाचार-चैनल ‘न्यूज़ 24’ के इस चित्र को उतार कर सामने रख लिया है। आप इस चित्र में सबसे ऊपर के वाक्य को देखें :– सुषमा की सर्जिकल स्ट्राइक से तार तार हो जाएगा ‘टेररिस्तान’? पहले देखें, ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को। इसका प्रयोग ‘पुंल्लिंग’ में होगा; क्योंकि इसका अन्तिम शब्द ‘स्ट्राइक’ है। आप प्रयोग करते हैं :– मेरे दिमाग़ में इस समय ‘स्ट्राइक’ नहीं कर रहा है। अब देखें, ‘तार तार’ को। ये दोनों शब्द एक साथ आते हैं, अत: इनका प्रयोग ‘तार-तार’ होगा। इसी वाक्य के अन्त में ‘टेररिस्तान’ का प्रयोग किया गया है। ‘टेरर’ अँगरेज़ी’ का शब्द है। इसमें ‘इस्तान’ शब्द किस आधार पर लगेगा? निस्सन्देह, यह प्रयोगकर्त्ता का शाब्दिक बलप्रयोग/बलात्कार है। अब इस वाक्य की ‘क्रिया’ को समझें। जब क्रिया-शब्द ‘जाना’ है तब उससे ‘जाये’, ‘जायेगा’ तथा ‘जायेगी’ की रचना होगी।

अब ठीक इसके नीचे देखें। बायीं ओर से तीसरे क्रम में जो चित्र है, उसे देखें। उस चित्र के ठीक नीचे अंकित है, ‘पूर्व राजनायिक’ अर्थात् पहले के राजनायिक। इन दो शब्दों में दो प्रकार की दो अशुद्धियाँ हैं। यहाँ ‘पूर्वराजनायिक’ अथवा ‘पूर्व-राजनायिक’ होगा। इसका आशय है कि ‘पूर्व’ और ‘राजनायिक’ में षष्ठी तत्पुरुष का सामासिक चिह्न विग्रह के रूप में लगेगा अथवा उसे समास-शब्द के रूप में ही रहने दिया जायेगा। अब इसी में दूसरे प्रकार की अशुद्धि ‘राजनायिक’ शब्द में दिखती है, जो वर्तनीगत अशुद्धि है। शब्द है, ‘राजनय’, जिससे ‘राजनयिक’ शब्द की संरचना होती है, न कि ‘राजनायिक’ की; जैसा कि उक्त चैनल दिखा रहा है।

अब ‘राजनयिक’ शब्द को समझते हैं :——-

शब्द है, ‘राजनय’। यह संस्कृत का शब्द है। इसका व्यवहार पुंल्लिंग के रूप में होता है। यहाँ दो शब्द हैं, ‘राज’ और ‘नय’। ‘राज’ का अर्थ ‘शासन’ अथवा ‘राज्य’ और ‘नय’ का ‘ले जाना’ अथवा ‘नेतृत्व करने की क्रिया’ है। इस ‘राजनय’ अथवा ‘राज-नय’ में षष्ठी तत्पुरुष समास है। राजनीति का गूढ़ शास्त्र अर्थात् ‘कूटनीतिविद्या’ ‘राजनय’ है और जिस मनुष्य का शासनिक आचरण सिद्धान्त और प्रयोग-स्तर पर ‘कूटनीतिक’ होता है, वह ‘राजनयिक’ कहलाता है।

अब इसी चित्र में सबसे नीचे देखिए। लाल रंग की पृष्ठभूमि पर श्वेत रंग में अंकित है : आगे देखिए। ठीक उसके आगे दिखाया गया है : पहली बार टीवी पर देखिए राम रहीम की आदमखोर गुफा

यहाँ पर ‘छ: प्रकार’ की अशुद्धियाँ हैं।

पहली, ‘पुनरुक्त-दोष’ है। इस चैनल पर जब एक बार ‘आगे देखिए’ दिखा दिया गया है तब ठीक उसी के आगे ‘देखिए’ का प्रयोग नहीं होगा। दूसरी अशुद्धि, उसी वाक्य में अंकित शब्द ‘टीवी’ पर ध्यान कीजिए। यहाँ पर दो प्रकार की अशुद्धियाँ हैं :–

पहली अशुद्धि ‘वर्तनी’ और दूसरी ‘विराम चिह्न’ की।

एकाग्रचित्त होकर समझें :— रोमन लिपि में ‘व’ के लिए दो अक्षर प्रयुक्त होते हैं :— ‘V’ (व़/ ह्व) ‘W’ (व); परन्तु उच्चारण के स्तर पर दोनों की ध्वनि में पर्याप्त अन्तर है; कैसे? समझें :—-

Very (व़ेरि/ह्वेरि), Vision (व़िश्ज़न/ह्विश्ज़न)
‘ज’ पर चन्द्रकार होता है। What, (वाट), Where (वेअर) की ध्वनि पृथक् प्रकार की है। इसमें ‘h’ की ध्वनि लुप्त कर दी जाती है। इस प्रकार ‘टीव़ी’ अथवा ‘टीह्वी’ होगा। अब पुन: देखें, टीव़ी अथवा टीह्वी कोई सार्थक शब्द नहीं है।

तीसरी, यह शब्द सार्थक तभी होगा जब इन दोनों अक्षरों के आगे ‘लाघव विराम चिह्न/संक्षेपसूचक चिह्न (०) का प्रयोग होगा; इस प्रकार से :– ‘टी० व़ी०’/टी० ह्वी०)। अब इसका अर्थ सुस्पष्ट होता है।
खेद है, इस प्रकार के विराम चिह्न को देश के सुविधाभोगी मीडिया-तन्त्र ने विलुप्त कर दिया है।

चौथी, अब इसी वाक्य में जहाँ पर ‘देखिए’ का प्रयोग किया गया है, उसके नीचे ‘अल्प विराम’ का चिह्न (,) अथवा ‘विवरण-चिह्न’ (:—) का प्रयोग होता है। चूँकि इस वाक्य में क्रिया है और वाक्य पूर्ण है, अत: वाक्यान्त में ‘पूर्ण विराम’ का चिह्न लगता है।

पाँचवीँ/पाँचवीं, अब ‘आदमखोर’ पर विचार करते हैं। इस आदमखोर शब्द में दो उपशब्द हैं :– पहला ‘आदम’, जो ‘अरबी-भाषा’ का शब्द है और दूसरा, उपशब्द ‘खोर’ फ़ारसी-भाषा का। इनसे ‘आदमख़ोर’ की रचना होती है; परन्तु यह शब्द ही अशुद्ध है। ऐसा इसलिए कि ‘आदमखोर’ कोई सार्थक शब्द है ही नहीं; सार्थक शब्द ‘आदमख़ोर’ है, जिसका अर्थ ‘आदमी को खा जानेवाला’ है।

इस वाक्य को ‘प्रतियोगितात्मक विद्यार्थियों के लिए समझना अपरिहार्य है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २७ सितम्बर, २०२० ईसवी)