आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला


कल (५ सितम्बर) 'शनिवार' रहेगा और 'कल' से ही 'दैनिक जागरण' के 'सप्तरंग' पृष्ठ पर प्रकाशित होनेवाला साप्ताहिक स्तम्भ 'हिंदी हैं हम' के अन्तर्गत 'भाषा की पाठशाला' में आमूल-चूल परिवर्त्तन परिलक्षित होगा।

अभी तक उक्त पाठशाला एक 'विशेष प्रकार' के विद्यार्थी और शिक्षकवृन्द के लिए होती थी, अब वही पाठशाला 'सार्वजनिक' कर दी गयी है। अब इस पाठशाला में देश-देशान्तर की आबाल वृद्ध नर-नारी के हिन्दी-बोध को अतीव सरलता-सहजता-सरसता के साथ व्यापक स्तर प्रदान किया जायेगा। सुपरिचित वातावरण के उदाहरणों से तथ्यों-तर्कों की संपुष्टि करते हुए, उनके हिन्दी-अनुराग का विस्तार किया जायेगा। जो जन 'अतिरिक्त' अँगरेज़ी-मोह के कारण 'देवनागरी लिपि' और 'हिन्दीभाषा-प्रयोग' के प्रति उदासीन हैं, उन्हें यह पाठशाला 'जाग्रत्' करेगी। ऐसे जन अपनी विमुखता इसलिए भी प्रदर्शित करते हैं कि वे कहीं अशुद्ध वर्तनी और अनुपयुक्त शब्दप्रयोग के कारण 'हास-उपहास' के पात्र बन जायें। ऐसे विचार से ग्रस्त (ग्रसित शब्द निरर्थक है।) जन के लिए उक्त पाठशाला के उपयोगी कलेवर और उसकी प्रभावमयी प्रस्तुति 'साधक' सिद्ध होंगी, 'बाधक' नहीं। 

प्रति 'शनिवार' को 'दैनिक जागरण' की निष्पक्ष और सात्त्विक पाठशाला में 'ग्यारह राज्यों' के सर्वसाधारण को एक साथ 'अमूल्य ज्ञान' प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश के समाचारपत्र 'नई दुनिया' के समस्त संस्करणों में भी 'शनिवार' को ही उपर्युक्त पाठशाला का आयोजन होता है।

जय देवनागरी-जय हिन्दी।
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