
◆ हमने समयाभाव के कारण सविस्तार नहीँ बताया है; क्योँकि इसकी विस्तृत जानकारी कराने मे लगभग एक हज़ार शब्द टंकित करने पड़ते। इसका पाठशाला-विषयक पुस्तक मे विश्लेषण किया जायेगा।
◆ जहाँ संशय वा भ्रम हो, प्रश्न कर सकते हैँ।
अधोटंकित वाक्योँ मे कहाँ पर किस प्रकार का दोष है, सकारण बताते हुए, वाक्य शुद्ध करेँ–
वाक्य :–
एक– मेरे यहां अपना कोई निजी स्वार्थ नही है!
दो– अपना यहां मेरा कोई निजी घर नहीं है।
सकारण उत्तर ग्रहण करेँ–
प्रथम वाक्य देखेँ– इसमे छ: प्रकार की अशुद्धियाँ हैँ :– पहली, ‘मेरे’ के स्थान पर ‘मेरा होगा; दूसरी, ‘यहां’ की जगह ‘यहाँ’ होगा; तीसरी, ‘अपना’ हट जायेगा; चौथी, ‘निजी’ हटेगा; पाँचवीँ ‘नही’ के स्थान पर ‘नहीँ’ होगा तथा छठी, ‘है’ के आगे पूर्ण विरामचिह्न लगेगा।
अब शुद्ध वाक्य होगा–
एक– मेरा यहाँ कोई स्वार्थ नहीँ है।
द्वितीय वाक्य देखेँ– इसमे पाँच प्रकार की अशुद्धियाँ हैँ :– पहली, ‘अपना’ हट जायेगा; दूसरी, ‘यहां’ की जगह ‘यहाँ’ होगा; तीसरी, ‘निजी’ हटेगा; चौथी, ‘नहीं’ की जगह ‘नहीँ’ होगा तथा पाँचवीँ, वाक्य मे कर्त्ता-शब्द ‘मेरा’ वाक्यारम्भ मे आयेगा।
अब शुद्ध वाक्य होगा–
दो– मेरा यहाँ कोई घर नहीँ है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ५ जुलाई, २०२४ ईसवी।)