आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

प्राय: हमारे विद्यार्थी अपने वरिष्ठ सहयोगियों और अध्यापिका-अध्यापकों से प्रश्न करते हैं– Ph.D. का अर्थ है, ‘Doctor of Philosophy’ और जब इस लघ्वक्षर (लघु+अक्षर= लघ्वक्षर) (‘लघ्वाक्षर’ अशुद्ध है।) का पूर्णाक्षर-रूप मे उच्चारण करते हैं तब ‘डॉक्टर’ पहले आ जाता है। इस प्रश्न का उत्तर अभी तक अनुत्तरित है।

अब आप सभी ध्यानपूर्वक तर्क-सहित उत्तर सुने, समझें तथा इसका एक विद्यार्थी से दूसरे विद्यार्थी और एक अध्यापक से दूसरे अध्यापक तक वितरण करें। विद्या का मुक्त हस्त से दान करते रहने पर (‘दान देते रहने पर’ अशुद्ध है।) आपकी दानशीलता उत्तुंग शिखर पर सदैव समासीन संलक्षित होती रहेगी।

पहली बात, विश्व के जितने भी ‘Ph.D.’ धारक हैं, उनमे से कई अँगरेज़ी मे phd, p.h.D., PHD, P.H.D., Ph-d, PH.D. आदिक का प्रयोग कर, अशुद्ध लेखन का प्रचार-प्रसार करते आ रहे हैं। हिन्दी को अपने ”बायें हाथ का खेल” समझनेवाले लिखते आ रहे हैं :– पी.एच.डी., पीएच. डी., पी-एच. डी., जो कि पूर्णत: अशुद्ध हैं। यदि मेधावी विद्यार्थी और अध्यापिका-अध्यापक से भेंट हो भी गयी तो वे लिखते दिखेंगे :– पी०एच०डी०, पीएच०डी०, पी-एच०डी०, परन्तु खेद है! ये सभी अशुद्ध हैं।

इस तरह से हमने पाया कि शोध करनेवाले, करानेवाले तथा शोध-परीक्षण करनेवाले विशुद्ध शब्द-प्रयोग ‘पीएच्०डी० से अनभिज्ञ रहे हैं; यहाँ तक कि ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ के साथ (यहाँ ‘से’ का प्रयोग अशुद्ध है।) जुड़े हुए सर्वोच्च उपाधियाँ अर्जित करनेवाले शिक्षणकर्मी भी इस शुद्ध प्रयोग की व्याकरणीय सूक्ष्मता से परे हैं।

आज हम आपको शुद्ध लेखन का ज्ञान करा रहे हैं। आप जब अँगरेज़ी मे लिखेंगे तब आप इस प्रकार से लिखेंगे– Ph. D.। आप जब इसे हिन्दी मे लिखेंगे तब इस प्रकार से लिखेंगे– पीएच्० डी०।

जैसा कि हमने आरम्भ मे कथन किया है कि विद्यार्थी जब अपने वरिष्ठ सहयोगियों और अध्यापिका-अध्यापकों से प्रश्न करते हैं– Doctor of Philosophy मे ‘पीएच्०’ पहले क्यों आता है? ‘डी०’ क्यों नहीं आता? वे सभी इस प्रश्न का भी उत्तर नहीं दे पाते; दे भी नहीं सकते।

अब आप सभी इसके भी तर्क-सहित सम्यक् उत्तर का संज्ञान करें (‘संज्ञान लें’ अशुद्ध है।)।

‘Prime Minister of India’ का अर्थ है, ‘भारत का प्रधानमन्त्री’। यहाँ हिन्दी मे ‘प्रधानमन्त्री’ ‘बाद मे’ क्यों आया है, जबकि अँगरेज़ी मे ‘पहले: आया है?
यही प्रश्न हमारे विद्यार्थियों के ‘प्रश्न का उत्तर’ भी है।

आप India’s Prime Minister का भी व्यवहार कर सकते हैं; उसी भाँति आप Philosophy’s Doctor का भी प्रयोग कर सकते हैं।

ज्ञातव्य है कि ‘Doctor of Philosophy’ मे शब्दप्रवाह है और मुख-सुख भी, इसीलिए इसके प्रयोग का प्रचलन हो चुका है। अन्य उदाहरण देखें :– Father of Nation, Nation’s Father; Capital of India, India’s Capital etc.। यहाँ भी हमारे पढ़े-लिखे लोग अशुद्ध प्रयोग करते हैं। ‘s को Apostrophe Sign (अक्षरलोप-चिह्न) कहते हैं। हिन्दी मे औ’ लिखा जाता है। इसका अर्थ है, आगे का अक्षर छूटा हुआ है। औ’ के आगे लगे (‘) इस चिह्न का अर्थ है कि वहाँ पर ‘र’ छूटा हुआ है। इस प्रकार ‘और’ की रचना होती है।

◆ ‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला’ नामक प्रकाशनाधीन पुस्तक से साभार गृहीत)

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २९ अक्तूबर, २०२२ ईसवी।)