शब्द हैं :– रचयिता-रचयित्री।
★ रचयिता– ‘रचयिता’ पुंल्लिंग-शब्द है, जो किसी भी प्रकार की मौलिक रचना के लिए प्रयुक्त होता है। ‘रचयिता’ का अर्थ है, रचना/सर्जन करनेवाला वा रचनेवाला। ‘रचना’ करने के अर्थ मे ‘रच्’ धातु मे ‘णिन्’ और ‘तृच्’ प्रत्यय के योग से ‘रचयिता’ का सर्जन होता है। इसी ‘रचयिता’ का स्त्रीलिंग-शब्द ‘रचयित्री’ है।
★ रचयित्री– अब ‘रचयित्री’ की रचना-प्रक्रिया को समझें। ‘रचयितृ’ मे ‘ङीप्’ प्रत्यय के योग से ‘रचयित्री’ नामक संज्ञा-शब्द का सर्जन होता है, जिसका अर्थ है, रचना/सर्जन करनेवाली; रचनेवाली।
◆ ‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय’ नामक कृति मे ‘रच्’ धातु से सम्बन्धित समस्त शब्दों पर विचार किया जायेगा।