● रचना— किसी भी पद्य अथवा गद्य-कृति को ‘रचना’ कहते हैं |
● लेख— किसी विषय पर सांगोपांग अथवा एकांगी दृष्टि से विषय-प्रधान और शास्त्रीय पद्धति में प्रकाशित गद्यबद्ध विचारों को प्रकट करनेवाली रचना को ‘लेख’ कहते हैं।
● निबन्ध— लेखक के ज्ञान, भाव, चित्त-दशा, अभिरुचि तथा व्यक्तित्व के समस्त अंगों में अनुरंजित आत्मानुभूतिपरक विषय का सार्वांगिक अथवा एकांगी प्रतिपादन ही ‘निबन्ध’ की श्रेणी में आता है।
● प्रबंध— किसी विषय के विस्तृत, सर्वांगीण, पूर्ण और वस्तुपरक अध्ययन को निबद्ध करनेवाली गद्य-रचना को ‘प्रबंध’ कहते हैं |
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; ५ अगस्त, २०१८ ईसवी)