हमें स्वयं के प्रति ईमानदार रहकर, जल का संरक्षण करना होगा : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

भाषाविद्-समीक्षक डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की अध्यक्षता में जलीय स्वच्छता के प्रति जागरण-मंच ‘जल बचाओ-जीवन बचाओ’ के तत्त्वावधान में ३ जनवरी, २०१७ ई०) ‘सम्राट् उदयन सभागार कलेक्ट्रेट (मंझनपुर, कौशाम्बी) उत्तरप्रदेश में ‘जल एवं पर्यावरण-संरक्षण के परिप्रेक्ष्य में गंगाजल और अन्य जलीय संदूषण और हमारा दायित्व’ विषयक बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन किया गया था, जिसमें लगभग ४०० विद्यार्थी, अध्यापक, शिक्षाधिकारी, खण्डविकास अधिकारी, किसान, किसान-नेता, अधिवक्ता, व्यवसायी, परियोजनाधिकारी आदिक की सजग उपस्थिति थी। कार्यक्रम का संयोजन ‘जल बचाओ-जीवन बचाओ!’ संस्था के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्त्ता श्री रणविजय निषाद ने समारोह का संयोजन और श्री संजय सिंह ने संचालन किया था।
समारोह के आरम्भ में इलाहाबाद से पधारे संस्कृत-अध्येता श्री अवनेन्द्र पाण्डेय ‘रसराज’ ने वेदपाठ कर, सभागार-परिवेश को दिव्यमय बनाया, जबकि धर्मा देवी इण्टर कॉलेज, कौशाम्बी की छात्राओं ने “विद्यादायिनी वरदायिनी हे माता!” का गायन कर, माँ सरस्वती का सांगीतिक आह्वान करते हुए, सम्पूर्ण वातावरण को सारस्वतमय कर दिया था। उन्हीं छात्राओं ने समस्त अभ्यागतगण का स्वागतगीत से समधुर शैली में स्वागत करते हुए, अपनी मूल परम्परा “अतिथि देवो भव” का सदाशयतापूर्ण परिचय दिया था।
समारोह के संयोजक श्री रणविजय निषाद ने समस्त आगन्तुक जन के प्रति औपचारिक स्वागत करते हुए, अपनी संस्था की ओर से आयोजित समारोह के हेतु पर प्रकाश डाला था।
इलाहाबाद से विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे प्रकृति-संरक्षण-मंच ‘साहित्यांजलि प्रज्योदि’ के अध्यक्ष डॉ० प्रदीप कुमार चित्रांशी ने बताया, “नदियों में सिक्के नहीं डालने चाहिए क्योंकि सिक्के में ‘क्रोमियम’ धातु होता है, जो जल को विषाक्त करता है और ऐसे जल में स्नान करने से व्यक्ति रुग्ण हो जाता है।”
अन्य विशिष्ट अतिथि बेसिक शिक्षाधिकारी, कौशाम्बी श्री महाराज स्वामी ने प्राथमिक स्तर पर जल-संरक्षण की उपयोगिता और महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा,” जल का अपव्यय नहीं किया जाना चाहिए। हम यदि जल-संरक्षण के प्रति लापरवाही बरतेंगे तब उसका परिणाम हमें भुगतना पड़ेगा।”
परियोजनाधिकारी श्री शास्त्री का मत था, “हम अपना हित चाहते हैं, हमें दूसरे के हित के प्रति कोई चिन्ता नहीं है। अत: स्वार्थरहित होकर हमें नदियों के स्वास्थ्य के प्रति चिन्तित और जागरूक बनना पड़ेगा।”
खण्ड विकास अधिकारी श्री दोहरे ने चेतावनी के स्वर में कहा, “अब यदि विश्वयुद्ध होगा तो उसके लिए हम ज़िम्मेदार होंगे क्योंकि अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए ही होगा।”
बाराबंकी से आये हुए शिक्षक श्री प्रमोद कुमार ने परिवृत्त का चित्र खींचते हुए, जलशोधन, प्रबन्धन तथा जलसंरक्षण-प्रबन्धन पर अपने विचार व्यक्त किये थे।
अन्त में,अध्यक्षीय व्याख्यान करते हुए, डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने कहा, “हमें स्वयं के प्रति ईमानदार रहकर, जल का संरक्षण करना होगा। देश की सरकार को जलीय स्वच्छता से कोई प्रयोजन नहीं है। यही कारण है कि प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी की योजना ‘नमामि गंगे’ के अन्तर्गत एक से०मी० भी गंगा स्वच्छ नहीं हो पायी है।” डॉ० पाण्डेय ने बताया, “हमें गंगा-यमुना ही नहीं, अपितु देश की सभी नद-नदियों, ताल-तल्लैया आदिक के जल संरक्षित करने, स्वच्छ करने तथा समुचित प्रबन्धन करने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।”