पूजा शुक्ला (समाजिक कार्यकर्त्री-)
हर तरफ लोगों का सिर्फ एक सवाल कि आखिर क्यों सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काले झंडे दिखाए गए? तो संक्षेप में कुछ जवाब। 3 मांगे थी प्रदर्शन की –
1-लखनऊ विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार।
2-महिलाओ की सुरक्षा
3-रोजगार ।
लखनऊ विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है । एक तरफ छात्रों की फीस ये कहकर हर साल कई गुना बढ़ाई जा रहा कि विश्वविद्यालय को फण्ड नही मिलता और जो मिलता है वह विश्वविद्यालय के लिए नगण्य है । लेकिन वही दूसरी तरफ *कर्मचारी सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संग़ठन * नाम का एक आरएसएस का संग़ठन अपने कार्यक्रमो के लिए विश्वविद्यालय से जब मन चाहे पैसा ले सकता है और वह पैसा होता है छात्रों का । छात्रों की पढ़ाई के पैसे का उपयोग इस संग़ठन के माध्यम से विश्वविद्यालय आरएसएस के कार्यक्रमो में खर्च करता है । इन कार्यक्रमों का उद्देश्य छात्रों का ज्ञानवर्धन करना नही बल्कि कैंपस के अंदर का माहौल खराब करना है। विश्वविद्यालय में पिछले एक साल से होस्टल के छात्रों को भूखे रख कर पढ़ने के साथ साथ परीक्षा देनी पड़ रही है । क्योंकि कुछ सत्ता संरक्षित गुंडे वहाँ अपनी गुंडई करते है और विश्वविद्यालय प्रशासन उन पर कार्यवाही करने में डरता है । परिसर में छात्राओं को खुले आम कुछ सत्ता संरक्षित गुंडो द्वारा छेड़ा जाता है, परिसर में मारा जाता है । पूरा प्रोक्टोरियल बोर्ड , वीमेन सेल हर जगह से नदारद दिखता है । कार्यवाही तो दूर वो लड़को को कभी गलती से पकड़ा तक नहीं जाता है। मेस, फीसवृद्धि, कैम्पस के मूलभूत सवाल, महिला सुरक्षा जब सब मामलों पर एक लंबे समय तक छात्र संघर्ष करते है, विश्वविद्यालय प्रशाशन लगातार अपनी मनमानी करता है । अब ऐसी परिस्थिति में छात्र क्या करे? छात्रों के पैसों का दुरुपयोग होता है । वित्त अधिकारी के द्वारा मना करने के बावजूद आरएसएस के चाटुकार छात्रों के एकेडमिक्स का 25 लाख रुपये जब इस कार्यक्रम के नाम पर देते है तो हम लोग कुलपति से मिलकर उनको कहते है । ज्ञापन देते है कि छात्रों का पैसा इस तरह से बर्बाद करेंगे तो हम आंदोलन को मजबूर होंगे । लेकिन इस बहरे प्रशाशन पर कोई फर्क नही पड़ता है। तब भगत सिंह के उन शब्दों से प्रेरणा लेते हुए “बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती हैं” हम भी एक धमाका करते हैं और करते हैं विरोध मुख्यमंत्री जी का । सिर्फ उनको इतना बताने के लिए साहब कि जो भ्रष्टाचार मिटाने का नारा देकर आप प्रदेश में आये है उसी भ्रष्टाचार के पैसों से हुए कार्यक्रम में आप शामिल होने जा रहे है । लेकिन मुख्यमंत्री जी उस बात को गंभीरता से लेने की जगह हम छात्रों को नक्सली, आतंकवादी और चीन फंडेड बता कर संगीन धाराओ में जेल भेज देते हैं । इसी लिए इस प्रदेश के मुखिया को एक ऐसे मुख्यमंत्री की जरूरत है जो कम से कम नौजवानों के सवालों को समझे।
दूसरा मुद्दा – महिला सुरक्षा आज प्रदेश की हालत ये है कि महिलाओ कों शाम क्या दिन में भी निकलते समय डर लगता है हर जगह हर जिले में दिन दहाड़े रेप हो जाता है । कभी हाईवे पर कभी चलती टेम्पो में , चाहे वो महिला सिपाही हो या महिला अधिकारी । कहीं पर भी महिलाये बच्चियां सुरक्षित नही हैं । इन सब के बावजूद पुलिस दोषियों को पकड़ने की जगह पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ ये मानने से इनकार कर देती है, ताकि विभाग की इज़्ज़त बनी रहे । थाने भगवा गमछा धारियो का अड्डे बन गए हैं । जहां महिलाये जाना तो दूर झाँकने तक से डरती हैं । जिस लचर कानून व्यवस्था , रोजगार के नाम पर आप प्रदेश में सरकार बना पाए हैं, उसी को आते भूल गए । जब 100 दिनों की सरकार में ही ये हाल है तो आने वाले सालों में इस प्रदेश का क्या होगा सोच के भी डर लगता है । हमने इस सवाल पर 31 मई 2017 को विधानसभा घेराव भी किया लेकिन सरकार को सुनाई नहीं दिया।
तीसरा मुद्दा है रोजगार । बेरोजगारी दूर करने का नारा लेकर आयी ये सरकार आते लोगों रोजगार भले ही न दे पायी, पर न जाने कितने छात्रों के भविष्य को दांव पर जरूर लगा दिया है । हर विभाग में पिछली सरकार द्वारा निकाली गयी भर्तियों में उत्तीर्ण छात्रों की इस अप्रैल जॉइनिंग थी । पर इस सरकार ने उन सब भर्तियों पर रोक लगा कर उन छात्रों का भविष्य अंधेरे में डाल दिया है । लेकिन अब इन सवालों के साथ साथ हमारे इन सवालों में कुछ सवाल और जुड़ गए है । जिनमें
इसी क्रम में और सवाल जुडेंगे । लखनऊ विश्वविद्यालय से निकली ये चिंगारी अब बुझने वाली नहीं है । कितने छात्रों को आप जेल भिजवायंगे । आपकी जेल की सलाखें हमारे इरादों से ज्यादा मजबूत नहीं हैं । आप इतना जान लीजिए कि आप सावरकर के वारिस हैं, तो हम भी भगतसिंह के वारिस हैं और हमारे आदर्श हँसते हँसते इस देश के लिए शहादत देते हैं । 2019 में यही छात्र,किसान,नौजवान,महिलायें आपसे हिसाब मांगेंगे तब आप क्या जवाब देंगे । इंक़लाब जिंदाबाद।
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