
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
जहाँगीरपुरी, दिल्ली मे एक समुदाय के द्वारा ‘हनुमान्-शोभायात्रा’ मे तलवारें लहराते हुए, लाठी-डण्डे, हॉकी लिये हुए कौन लोग शामिल थे? पुलिस-प्रशासन ने उन्हें घातक हथियारों के साथ उस जुलूस मे शामिल होने से रोकते हुए, उनके विरुद्ध काररवाई क्यों नहीं की थी? कहीं वे कथित जुलूस मे घुसकर आतंक फैलाकर जनजीवन को अस्त-व्यस्त तथा त्रस्त करनेवाले अराजक तत्त्व तो नहीं थे? इसकी भी जाँच करायी जानी चाहिए।
जिस समय अति संवेदनशील क्षेत्र से एक समुदाय-विशेष का जुलूस जब आक्रामकता के साथ निकाला जा रहा था तब सुरक्षाकर्मियों की संख्या कितनी थी? उन्होंने जुलूस मे शामिल लोग की सुरक्षा के लिए कौन-सी व्यवस्था की थी। उल्लेखनीय है कि उस शोभायात्रा मे बड़ी संख्या बालकों-किशोरों तथा युवकों की भागीदारी थी। लगातार एक समुदाय-विशेष के जुलूस मे हिंसक घटनाएँ की जा रही हैं। क्या यह उन मा-बाप को नहीं मालूम, जिनके बच्चे जुलूस मे शामिल किये गये थे? क्या उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उस जुलूस मे कुछ भी घट सकता था।
जितने भी वीडियो सामने आये हैं, उन सभी मे जुलूस निकालनेवाले अतिरिक्त आक्रामकता के साथ तलवारें लहराते हुए, आगे बढ़ते दिख रहे हैं। उन पर किसने किस दिशा से ईंट-पत्थर के टुकड़ों से हमला किया था, यह अभी तक ज्ञात नहीं किया जा सका है; वे बाहरी तत्त्व थे या फिर उसी क्षेत्र के थे?
एक बात और, यह सुनियोजित ढंग से शुरू किया गया एक घातक षड्यन्त्र दिखता है, जिसे लेकर सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों को एक-दूसरे पर घटिया आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपनी गर्हित मानसिकता का परिचय नहीं देना चाहिए, बल्कि राष्ट्रहित के दुश्मनों को कठोर सज़ा दी जानी चाहिए।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १७ अप्रैल, २०२२ ई०।)