● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
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आज (१९ नवम्बर) राजगीर (बिहार) मे भारत-जापान के मध्य खेले गये एशियाई महिलाहॉकी- चैम्पियंस ट्रॉफ़ी मे भारत ने यद्यपि जापान को एक पेनाल्टि-स्ट्रोक और एक मैदानी गोल की सहायता से २-० से पराजित कर, प्रतियोगिता के फ़ाइनल मे प्रवेश कर लिया है तथापि जापानी गोलरक्षिका की जितनी भी प्रशंसा की जाये, अत्यल्प है। उस गोलरक्षिका ने भारत को मिले १३ पेनाल्टि-कॉर्नर को अपने कौशल के बल पर हवा मे उड़ा दिया। दूसरी ओर, भारतीय दल के खेलप्रशिक्षक नरेन्द्र सिँह को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए किसी मैच मे एक दल को जल्दी १३ पेनाल्टि-कॉर्नर मिलता नहीँ मिलते, फिर उन १३ अवसर मे से एक का भी भारतीय खेलाड़िनो ने लाभ नहीँ लिया, जोकि भारतीय खेलाड़िनो के लिए शर्मनाक का विषय है। दूसरी ओर ६० मिनट के खेल मे जापान के पक्ष मे मात्र १ पेनाल्टि-कॉर्नर आया, जो व्यर्थ रहा।
भारत की ओर से दोनो गोल खेल के चौथे और अन्तिम दौर मे किये गये थे।
कल (२० नवम्बर) मलेशिया को ३-१ से पराजित कर, पहले से ही फ़ाइनल मे पहुँचे हुए, चीनी दल के साथ भारतीय दल की फ़ाइनल मे भिड़न्त होगी। यदि वहाँ पेनाल्टि-कॉर्नर को गोल मे बदलने मे भारतीय खेलाड़िने विफल रहीँ तो उससे उसके चैम्यियंस ट्रॉफ़ी जीतने का स्वप्न धरा-का-धरा रह सकता है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १९ नवम्बर, २०२४ ईसवी।)