'सर्जनपीठ', प्रयागराज की ओर से १९ दिसम्बर को हरिमोहन मालवीय की स्मृति मे 'सारस्वत सदन', आलोपीबाग़, प्रयागराज मे एक शोकसभा का आयोजन किया गया, जिसमे उन्हेँ निकट से जानने-समझनेवाले नगर के साहित्यकारोँ ने अपनी भावांजलि अर्पित की।
हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संरक्षक विभूति मिश्र ने बताया– हरिमोहन जी के चले जाने से प्रयागराज मे एक अलग प्रकार की रिक्तता आ गयी है। वे एक कर्मठ पुरुष थे।
डॉ० मणिकान्त यादव ने कहा– हरिमोहन मालवीय जी सदैव अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहते थे। उन्हेँ हमेशा सोच-विचार की स्थिति मे पाया जाता था।
आयोजक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने बताया– हरिमोहन मालवीय जी का अध्ययन-धरातल उच्चकोटि का था। वे स्वाध्याय और अध्यवसाय के बल पर अपनी सारस्वत यात्रा करते रहे। उनका मन-मस्तिष्क हमेशा वैचारिक और बौद्धिक बना रहता था। मेरी उनसे जब भी भेँट होती रही, अध्ययन-अनुशीलन विषय पर ही संवाद होता रहता था।
इस अवसर पर नगर के अन्य प्रबुद्धजन ने पं० हरिमोहन मालवीय के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की तथा स्वजन को इस आघात को सहने के लिए परमशक्ति से सामर्थ्य देने की कामना की।