अँगरेज़ी मे दो शब्द हैँ :– ‘डिस्गाइज़्ड’ और ‘एक्सटोलिंग वॉइस’। इनको कुछ छद्म यूट्यूबरोँ ने पहन-ओढ़कर बहुरूपिया एवं गिरगिटिया बना लिया है। उन्हीँ मे से प्रमुख है, ख़ुद को ‘सर’ कहनेवाला ‘अमरनाथ सर’ उर्फ़ ‘अमरनाथ गुप्ता’, जो ‘डिस्गाइज़्ड’ (प्रच्छन्न/छद्मवेशी) एवं ‘एक्सटोलिंग वॉइस’ (गुणगान करती/बाज़ारू बोली) का धनी दिखता है। उस व्यक्ति के जितने भी वीडियो हैँ, उनमे उसकी सारी अदाएँ ऐसे थिरक रही हैँ, मानो शूटिंग करा रहा हो। शिक्षक का चरित्र सात्त्विक और शालीन होता है, न कि हलो-हाय गाइज़मार्का। यही कारण है कि अमरनाथ गुप्ता अपने वीडियो मे आत्मप्रदर्शन कर, आत्ममुग्धता की अवस्था मे दिखता रहता है।
मै अपने विद्यार्थियोँ एवं प्रबुद्धजन (‘जनों’ अशुद्ध है।) को अपनी पाँचवीँ कड़ी के अन्तर्गत अमरनाथ गुप्ता के पहले पोस्टर मे शब्दभेद के अशुद्ध लेखन के प्रति ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा। उस अपरिपक्व व्यक्ति के तीन पोस्टर हैँ, जिनमे ‘विशेषण’ और ‘विशेष्य’ शब्द दिख रहे हैँ। आप अब ज़रा ध्यानपूर्वक देखेँ और समझेँ कि अमरनाथ गुप्ता को ‘समुच्चयबोधक अव्यय’ की कितनी समझ है। उसके पहले पोस्टर मे दिख रहा है :– ‘विशेषण विशेष्य’; दूसरे पोस्टर मे लिखा है :– ‘विशेषण-विशेष्य’ तथा तीसरे पोस्टर मे है :– ‘विशेषण एवं विशेष्य’। इन तीनो पोस्टरोँ के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि कथित बड़बड़िया यूट्यूबर को शब्दभेद की अवधारणा का किंचित् बोध नहीँ है। वह अपने वीडियो देखनेवालोँ को तुक्का मारते हुए, कभी ‘विशेषण विशेष्य’, कभी ‘विशेषण-विशेष्य’ तो कभी ‘विशेषण एवं विशेष्य’ बताकर, भ्रमित करता आ रहा है।
विद्यार्थी रिक्त बनकर शिक्षक से विद्या प्राप्त करने के लिए उसके पास जाते हैँ; परन्तु वह उनके भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। इससे सिद्ध हो जाता है कि तथाकथित वीडियोबाज़ मास्टर अमरनाथ गुप्ता को यह बिलकुल समझ नहीँ कि ‘और’, ‘एवं’ ‘तथा’ का कहाँ व्यवहार किया जाता है। वह तो ‘व’ का भी प्रयोग नहीँ बता सकता। मै अमरनाथ गुप्ता को ललकारता हूँ :– साहस हो तो उपर्युक्त (‘उपरोक्त’ अशुद्ध है।) समुच्चयबोधक शब्दोँ का उपयुक्त प्रयोग करके दिखा दे। समुच्चयबोध-व्यवहार के संदर्भ मे – यह चिह्न कब और किस स्थिति मे प्रयुक्त होता है, उसे यह भी बोध नहीँ होगा।
मैने अमरनाथ को ललकारा है। यदि उसमे साहस हो और प्रयोग की समझ तो व्यवहार करके दिखाये। जब उसका उत्तर सार्वजनिक हो जायेगा तब मै बताऊँगा कि उक्त तीनो का प्रयोग कितना सही है और कितना ग़लत, फिर क्योँ?।विद्यार्थियोँ के समक्ष स्वयं को हिन्दीभाषा और व्याकरण का महाज्ञाता अनुभव करानेवाला यूट्यूबर अमरनाथ गुप्ता पहले पोस्टर मे सबसे ऊपर लिखता और बताता है कि परीक्षा का नाम ‘समीक्षा अधिकारी हिंदी’ है, जबकि आजतक ऐसी कोई परीक्षा आयोजित ही नहीँ हुई, जिसका यह नाम रहा हो। उसने वहाँ ‘हिंदी’ क्योँ लिखा है, समझ से परे है। इसे वही बता सकता है। यहीँ पर अमरनाथ गुप्ता-द्वारा एक ही अर्थवाले शब्द के भिन्न-भिन्न वर्तनी-लेखन उसकी भ्रमित मनोवृत्ति का परिचय प्रस्तुत करते हैँ। वह तो भ्रमित है ही, अपने वीडियो-दर्शकोँ को भी भ्रम और संशय की स्थिति मे डालता दिख रहा है। वे विवादास्पद वर्तनी-प्रयोग हैँ :– ‘हिंदी’ और ‘हिन्दी’। एक पोस्टर मे ‘हिंदी’ है और दूजे मे ‘हिन्दी’। ध्यानपूर्वक पोस्टर देखेँ :– पहले मे अनुस्वार का प्रयोग तो दूसरे मे पंचमाक्षर का; अन्तत:, शुद्ध किसे माना जायेऔर क्योँ?
(क्रमश:)